स्वाति मालीवाल से बदसलूकी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के सहयोगी रहे बिभव कुमार को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बिभव कुमार को शर्तों के साथ जमानत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि बिभव कुमार को सीएम अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक के पद पर बहाल न किया जाए या उन्हें सीएम ऑफिस में भी कोई आधिकारिक कार्यभार न दिया जाए।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बिभव कुमार सभी गवाहों की जांच होने तक सीएम आवास में प्रवेश न करें। न्यूज एजेंसी ANI द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को तीन महीने के भीतर सबसे पहले महत्वपूर्ण और कमजोर गवाहों की जांच पूरी करने का प्रयास करना चाहिए।

बिभव ने मालीवाल को जड़े थे 7 से 8 थप्पड़, पुलिस चार्जशीट में बड़ा खुलासा

न्यूज एजेंसी  भाषा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने निर्देश दिया कि बिभव कुमार को केजरीवाल के निजी सहायक के रूप में बहाल नहीं किया जाएगा और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय में कोई आधिकारिक कार्यभार दिया जाएगा। कोर्ट ने सभी गवाहों की जांच होने तक बिभव कुमार को मुख्यमंत्री आवास में एंट्री करने से भी रोक दिया।

दिल्ली पुलिस ने किया जमानत देने का विरोध

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए ASG एसवी राजू ने कोर्ट से बिभव कुमार को यह कहते हुए जमानत न देने की अपील की कि अभी निजी गवाहों की जांच नहीं हुई है, वह उन्हें प्रभावित कर सकते हैं। कोर्ट ने एसवी राजू की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कम से कम 51 गवाहों का प्रस्ताव रखा है। इससे मुकदमे के समापन में कुछ समय लगेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि बिभव कुमार 100 दिनों से अधिक समय से हिरासत में हैं, और चूंकि अभियोजन पक्ष ने पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर दिया है, इसलिए जमानत पर उनकी रिहाई से जांच पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

बिभव कुमार को 18 मई को किया गया था गिरफ्तार

आपको बता दें कि बिभव कुमार ने 13 मई को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर राज्यसभा सांसद मालीवाल पर कथित तौर पर हमला किया था। बिभव कुमार के खिलाफ 16 मई को IPC की विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई थी। उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।

हाई कोर्ट ने बिभव कुमार जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि आरोपी “काफी प्रभावशाली” है और उन्हें राहत देने का कोई आधार नहीं बनता है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर उन्हें को जमानत दी जाती है , तो गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।