Bhupinder Hooda and Udai Bhan Delhi Polls 2025: कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार फिर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जबरदस्त झटका दिया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से जारी की गई स्टार प्रचारकों की सूची में जगह नहीं मिली है। उदयभान को भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बेहद करीबी माना जाता है।

इसके अलावा कांग्रेस हरियाणा में नेता विपक्ष कौन होगा इसका भी फैसला नहीं कर पा रही है।

स्टार प्रचारकों की सूची में जगह नहीं मिलने को लेकर हुड्डा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दिल्ली में विकास तब हुआ जब वहां शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी और इस बार दिल्ली के लोग बड़ी उम्मीद के साथ कांग्रेस की ओर देख रहे हैं।

स्टार प्रचार तय करना कांग्रेस हाई कमान का काम

उदयभान ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि स्टार प्रचारक कौन होगा, यह तय करना कांग्रेस हाई कमान का काम है। स्टार प्रचारकों की सूची में हरियाणा से तीन नेताओं को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत दर्ज करेगी।

हालांकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उदयभान को इस सूची में जगह नहीं मिली लेकिन उनके बेटे और रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, सांसद रणदीप सुरजेवाला और अंबाला की सांसद कुमारी सैलजा इस सूची में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं।

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जिलाध्यक्षों की सूची पर लगा दी थी रोक

इससे पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा को झटका जब लगा था जब ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव दीपक बाबरिया ने हरियाणा कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की एक सूची पर रोक लगा दी थी। इस सूची में ज्यादातर जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे के थे और प्रदेश अध्यक्ष होने की हैसियत से उदय भान ने ये नियुक्तियां की थी।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उदयभान को स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर रखने के पीछे एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि विधानसभा चुनाव में हरियाणा से लगने वाले दिल्ली के चार जिलों फरीदाबाद, गुड़गांव, सोनीपत और झज्जर में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। कांग्रेस ने इन चार जिलों में पड़ने वाली 20 विधानसभा सीटों में से सिर्फ पांच सीटें जीती थी। उदयभान खुद भी पलवल जिले की होडल विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे।

महाराष्ट्र के प्रचारकों की सूची में भी नहीं मिली थी जगह

याद दिलाना होगा कि पिछले साल नवंबर में जब महाराष्ट्र के स्टार प्रचारकों की सूची जारी हुई थी, उस सूची में भी पार्टी नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जगह नहीं दी थी जबकि उनके राजनीतिक विरोधी माने जाने वाले राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में था। इस सूची को सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा के दस्तख़त के द्वारा जारी किया गया था। हरियाणा कांग्रेस में कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की राजनीतिक लड़ाई जगजाहिर है।

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हुड्डा को नजरअंदाज कर रही कांग्रेस?

नेता विपक्ष के मामले में भी कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व हुड्डा की बात को तवज्जो देता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के 100 दिन बाद भी कांग्रेस नेता विपक्ष का चयन नहीं कर पाई है।

हरियाणा के राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा नेता विपक्ष की कुर्सी चाहते हैं। हुड्डा के समर्थकों का दावा है कि अधिकतर विधायक हुड्डा के साथ हैं और कांग्रेस के हाईकमान को हुड्डा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। लेकिन सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व विधानसभा चुनाव में हार के कारणों को जानता है और अगर हुड्डा हाईकमान की पसंद होते तो अब तक पार्टी उनके नाम का ऐलान कर चुकी होती लेकिन चूंकि पार्टी इसमें देरी कर रही है, इसलिए इसका सीधा मतलब है कि वह किसी और नेता को इस पद पर बैठाना चाहती है।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की अहम वजह इसे माना गया था कि कांग्रेस नेतृत्व भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बहुत ज्यादा निर्भर रहा। इसके अलावा पार्टी में बड़े नेताओं की आपसी लड़ाई को भी हार के कारणों में शामिल किया गया।

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हरियाणा के चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। बीजेपी ने 90 सीटों वाली हरियाणा की विधानसभा में 48 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस को 37 सीटें मिली थीं। इनेलो को 2 सीटें और 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे।

कद्दावर नेता हैं भूपेंद्र सिंह हुड्डा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे हैं। वह राज्य में 25 फीसदी आबादी वाले जाट समुदाय से आते हैं। हुड्डा 2005 से 2014 तक मुख्यमंत्री रहे हैं और नेता विपक्ष भी रह चुके हैं। वह कई बार सांसद रहे हैं और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी 5 बार सांसद बन चुके हैं। राज्य के कई इलाकों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों की अच्छी-खासी संख्या है।

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