धार जिले स्थित विवादित भोजशाला स्मारक पर वसंत पंचमी के दिन नमाज या पूजा होने को लेकर जारी विवाद के बीच एक हफ्ते पहले भोजशाला के कमाल मौला मस्जिद पर शुक्रवार को हजारों मुसलमान यहां इकट्ठे हुए। इससे स्थानीय प्रशासन की चिंताएं बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि नमाज के लिए आए लोगों की संख्या आम तौर पर जुटी भीड़ से बहुत ज्यादा थी। प्रशासन भोजशाला पर जारी विवाद को देखते हुए 2006 और 2013 की घटनाओं को दोबारा से होने नहीं देना चाहता। पिछली बार धर्म जागरण मंच और भोज उत्सव समिति ने पूजा के बाद जगह खाली करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करके जगह खाली करवानी पड़ी। इसके अलावा, केवल प्रतीकात्मक तौर पर चंद मुसलमानों से वहां नमाज पढ़वाकर औपचारिकता पूरी की गई।
क्या है विवाद
भोजशाला को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संरक्षित कर रखा है। एक धार्मिक पक्ष का मानना है कि यह प्राचीन स्थान वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर है, जबकि दूसरा समुदाय इसे अपनी इबादतगाह बताता है। एएसआई की ओर से की गयी व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर जुम्मे (शुक्रवार) को इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत है। संयोग से इस बार बसंत पंचमी शुक्रवार (12 फरवरी) को पड़ रही है। इसके मद्देनजर प्रदेश सरकार कोशिश कर रही है कि इस दिन भोजशाला मसले को लेकर कोई अप्रिय स्थिति पैदा न हो। विवादित भोजशाला में पूजा और नमाज को लेकर हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के बीच कोई सौहार्दपूर्ण हल निकालने की कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। बता दें कि इससे पहले भी जब-जब बसंत पंचमी शुक्रवार के दिन आई है उस दौरान धार शहर में दोनों समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न होता रहा है। एएसआई चाहता है कि हिंदू सूर्योदय से लेकर दोपहर साढ़े बजे तक पूजा करें। इसके बाद मुस्लिम एक से तीन बजे तक नमाज अदा करें। इसके बाद, दोबारा से हिंदू शाम साढ़े तीन बजे से सूर्यास्त तक पूजा करें। हिंदू संगठनों ने यह कहते हुए इस व्यवस्था को ठुकरा दिया है कि पूजा में बाधा पड़ना सही नहीं है।
राजद्रोह के आरोपी शहर काजी के पहुंचने पर विवाद
धर्मजागरण मंच के कन्वीनर गोपाल शर्मा ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ”अगर 11 फरवरी तक सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आश्वासन नहीं मिलता कि 12 फरवरी को पूरे दिन नमाज नहीं होगी तो हम स्मारक के बाहर ही पूजा करेंगे।” शुक्रवार की नमाज में बड़ी तादाद में भीड़ जुटने के बारे में शर्मा ने दावा किया कि पड़ोस के कस्बों और गांवों से भी मुसलमान पहुंचे थे। उन्होंने कहा, ”उन्होंने अपनी महिलाओं से कहा है कि वसंत पंचमी के दिन वे कहीं और चली जाएं। आप समझ सकते हैं कि क्या होने वाला है?” बता दें कि नमाज अदा करने वाले लोगों में शहर काजी सादिक वकार भी मौजूद थे। राजद्रोह के आरोप में एफआईआर दर्ज होने के बाद से सादिक गायब चल रहे थे। हिंदू संगठनों ने सादिक की फोटो सर्कुलेट करते कहा कि यह प्रशासन के चेहरे पर तमाचा है। वहीं, एक सीनियर पुलिस अफसर ने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, काजी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
हिंदू संगठनों ने किया सद्भावना रैली का बहिष्कार
हिंदू संगठनों ने प्रशासन की ओर से बुलाई गई सद्भावना रैली का बहिष्कार किया। संगठनों ने आरोप लगाया कि रैली में शामिल बहुत सारे लोग दंगे के पिछले मामलों में शामिल रहे हैं। शर्मा ने कहा, ”प्रशासन मुस्लिमों के त्योहार के पहले इस तरह की रैलियां नहीं निकालता? क्या हिंसा सिर्फ हिंदू भड़काते हैं?”