Chaudhary Charan Singh Profile: देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को आज भारत सरकार ने भारत रत्न देने का ऐलान किया है। पीएम मोदी ने खुद इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजा जा रहा है। उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया।

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर को हुआ था और उनके सम्मान में हर साल राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के नूरपुर में एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक वह भारत के पांचवें प्रधानमत्री रहे हैं। उन्हें किसानों के मसीहा के रूप में जाना जाता है।

चौधरी चरण सिंह की शिक्षा

चौधरी चरण सिंह के पिता मीर सिंह खेती किसानी करते थे और उनकी मां नेत्रा कौर थीं। वह पांच बच्चों में सबसे बड़े थे। वह खेती के लिए भूमि की तलाश में मेरठ जिले में शिफ्ट हो गए थे। उनकी स्कूली शिक्षा जानी खुर्द गांव में हुई। उन्होंने 1919 में गवर्नमेंट हाई स्कूल से 10वीं पूरी की थी और साल 1923 में, उन्होंने आगरा कॉलेज से बीएससी और 1925 में हिस्ट्री में एमए की। उन्होंने लॉ की भी ट्रेनिंग ली थी। साल 1929 में, वह कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्होंने राजनीतिक करियर को चुना। चरण सिंह ने अपने पूरे जीवन में किसानों और उनके परिवारों के विकास के लिए ही काम किया। भारत की आजादी के लिए वह कई बार जेल भी गए थे।

चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक करियर

पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह साल 1937 में यूपी की छपरौली विधानसभा से चुने गए थे। यही क्रम 1946, 1952, 1962 और 1967 में भी चलता ही रहा। 1946 में वे पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने। उन्होंने राजस्व, चिकित्सा समेत कई विभागों में काम किया। जून 1951 में उन्हें राज्य में कैबिनेट मंत्री बनाया गया और न्याय व सूचना विभाग दिया गया।

1952 में चौधरी चरण सिंह ने संपूर्णानंद के मंत्रिमंडल में राजस्व और कृषि मंत्री का पद संभाला। 1959 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। इस समय उनके पास राजस्व व परिवहन विभाग था। 1960 में चौधरी चरण सिंह ने सीबी गुप्ता के कार्यकाल ने गृह और कृषि मंत्रालय भी संभाला। उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया और 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया।

वह भूमि सुधारों के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाने जाते थे। चौधरी चरण सिंह ने कई किताबें भी लिखी हैं। वह भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। उनका फोकस प्रशासन की दुरुस्त वयवस्था पर था। वे कड़क नेता के रूप में जाने जाते थे।

कांग्रेस पार्टी में आतंरिक फूट के बाद वह फरवरी 1970 में कांग्रेस पार्टी के समर्थन से दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। 2 अक्टूबर 1970 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। 28 जुलाई,1979 में कांग्रेस (आई) के समर्थन से देश के 5वें प्रधानमंत्री बने। इंदिरा गांधी के समर्थन वापस लेने की वजह से 20 अगस्त,1979 को चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इस प्रकार वे ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने पीएम रहते हुए कभी संसद का सामना नहीं किया। 29 मई, 1987 को उनका निधन हुआ।