कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ तैयार करने वाली कंपनी भारत बायोटैक का कहना है कि वह अपनी वैक्सीन के डेटा को लेकर पूरी तरह से पारदर्शी हैं। दरअसल कंपनी की वैक्सीन के डेटा को लेकर सवाल उठने के बाद ये बयान सामने आया है। भारत बायोटैक के एमडी कृष्ण एला ने कहा, ‘कई लोग कहते हैं कि मैं अपने डेटा में पारदर्शी नहीं हूं। मुझे लगता है कि लोगों को इंटरनेट पर सब्र के साथ पढ़ना चाहिए कि हमने कितने लेख प्रकाशित किए हैं। 70 से अधिक लेख विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।’
बता दें कि Bharat Biotech हर 15 दिन में कोविड वैक्सीन Covaxin से जुड़ी सुरक्षा डेट सरकार को जमा करेगा। यहां तक किसी भी तरह के साइट इफेक्ट से जुड़ी जानकारी भी उसे सरकार को देनी होगी। मोदी सरकार ने कोवैक्सीन को आपातकालीन तौर पर इस्तेमाल किए जाने के लिए भारत बायोटैक के आगे ये शर्तें रखी हैं।
मालूम हो कि कोवैक्सीन एक पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है जिसे कि भारत बायोटैक और आईसीएमआर ने मिलकर तैयार किया है। सरकार ने आपाकालीन इस्तेमाल किए जाने के लिए कंपनी को हरी झंडी दिखा दी है। सरकार ने ये अनुमति ऐसे समय में दी है जब वैक्सीन का तीसरा ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ है। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कंपनी के डेटा को लेकर सवाल उठाए हैं। DCGI के मुताबिक “आपातकालीन इस्तेमाल” की ही अनुमति दी गई है।
DCGI ने कहा है, “भारत बायोटैक को सेफ्टी डेटा जमा करना होगा। टीके से होने वाले किसी भी प्रभाव को पूरे विश्लेषण के साथ DCGI के सामने रखना होगा। शुरुआती दो महीनों के लिए हर 15 दिन का डेटा देना होगा।”
नए ड्रग और क्लीनिकल ट्रायल नियम के मुताबिक “गंभीर मामलों” की 14 दिन के भीतर जानकारी देनी होगी। भारत बायोटैक से सरकार ने रिस्क मैनेटमेंट प्लान भी मांगा है। सिर्फ इस शर्त पर वैक्सीन को अनुमति दी गई है कि वैक्सीन लेने वालों की अच्छे से मॉनिटरिंग की जाएगी साथ ही हर बात को रिपोर्ट भी किया जाएगा। डीसीजीआई ने भारत बायोटेक को आपातकालीन स्थितियों में वैक्सीन का उपयोग करने के लिए प्रोटोकॉल बताने के लिए भी कहा है।
सरकार वैक्सीन के वितरण से पहले उसका मूल्यांकन करेगी। सरकार ने पहले ही सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन की 2.5 करोड़ डोज को अनुमति दे दी है। कोविशील्ड वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने साथ में विकसित किया है।