महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा है कि कृषि और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने वाले महाराष्ट्र मॉडल को अपनाकर उत्तराखंड की बेरोजगारी की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कोश्यारी ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र के किसान राज्य के अनूठे कृषि उत्पादों को पेटेंट करवाकर अच्छा कमा लेते हैं। इसी तर्ज पर काम करते हुए हम भी केवल हिमालयी क्षेत्र में पैदा होने वाले राजमा और जड़ी बूटी के अच्छे दाम कमा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यहां उगने वाले दुर्लभ और जैविक कृषि उत्पादों और हिमालयी शिल्प को बढ़ावा देकर प्रदेश में बेरोजगारी के मुद्दे का समाधान किया जा सकता है।
कोश्यारी ने इस दिशा में काम कर रहे प्रदेश के कुछ गैर सरकारी संगठनों और युवाओं की प्रशंसा भी की। उन्होंने प्रदेश में सक्रिय राजनीति में लौटने की चर्चा को खारिज करते हुए कहा कि वह अब बूढे़ हो गए हैं।
उत्तराखंड के पूर्व सीएम कोश्यारी दीपावली के मौके पर अपने गृह जनपद पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने उन खबरों का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि वह सक्रिय राजनीति में लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि उम्र के जिस पड़ाव पर वे हैं, उसमें सक्रिय राजनीति में लौटने का सवाल ही नहीं उठता।
इसी दौरान उन्होंने उत्तराखंड में रोजगार को लेकर बात की और लोगों की समस्याओं को सुना। कोश्यारी ने कहा कि देश आत्मनिर्भर बन रहा है। ऐसे में उत्तराखंड में संसाधनों की कमी नहीं है। यहां के युवाओं को स्वरोजगार से जुड़ना होगा और राज्य को आत्मनिर्भर बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन घर सभी को अच्छा लगता है। बीते सवा साल से घर नहीं आ पाया था। इस पर दीपावली पर आने पर अच्छा लगा।
उन्होंने कहा कि हमें उत्तराखंड को विकास की दौड़ में आगे ले जाना है। हमें स्वरोजगार के अवसर पैदा करने होंगे। इस दौरान कोश्यारी ने अपने पुराने साथियों से भी मुलाकात की और वह भावुक भी हो गए।
