तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। कई महीनों से एक विवाद जारी है, जिसे ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक के सहयोगी पार्टी नेताओं के बीच मतभेद के रूप में पेश किया जा रहा है। इन मतभेदों का कोई अंत नज़र नहीं आ रहा है। हाल की घटनाओं से पता चलता है कि वास्तव में मतभेद और भी गहरे हैं। पहले अभिषेक बनर्जी कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में एक डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के मामले में टीएमसी सरकार के रवैये की आलोचना करने वाले कलाकारों के बहिष्कार के मुद्दे पर पार्टी के कुछ नेताओं से असहमत थे। लेकिन अब ममता बनर्जी ने अपने भतीजे के करीबी माने जाने वाले मंत्रियों की आलोचना की।

कलाकारों के कार्यक्रम रद्द

कोलकाता में एक स्थानीय टीएमसी पार्षद द्वारा गायिका लग्नजीता चक्रवर्ती के नए साल की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता कुणाल घोष ने 31 दिसंबर को एक्स पर पोस्ट किया कि लोग विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं और कलाकारों को मार्च करने की स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा, “हालांकि जिन कलाकारों ने जानबूझकर बदनामी की, मुख्यमंत्री, सरकार और पार्टी पर हमला किया, सरकार गिराने की बात की, तृणमूल समर्थकों का अपमान किया और गलत जानकारी फैलाई, उन्हें तृणमूल नेताओं द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम में मंच पर नहीं देखा जाना चाहिए। उनका बहिष्कार किया जाना चाहिए। अगर किसी तृणमूल नेता को कोई संदेह है, तो उन्हें वरिष्ठ नेतृत्व से सलाह लेनी चाहिए। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भावनाओं का सम्मान करें।”

अभिषेक ने कुणाल घोष पर साधा निशाना

लग्नजीता के अलावा गायिका देबलीना दत्ता (जो आरजी कर विरोध के दौरान भी मुखर थीं) ने भी दावा किया है कि हाल ही में उनके कम से कम चार कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। कुणाल घोष पर निशाना साधते हुए डायमंड हार्बर के सांसद और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक ने गुरुवार को अपने क्षेत्र में एक कार्यक्रम में कहा, “क्या किसी ने पार्टी की ओर से ऐसा कहा? क्या आपने कोई नोटिस देखा है? क्या ममता बनर्जी या मैंने, महासचिव ने कुछ कहा? मैं किसी को यह बाध्य नहीं करना चाहता कि वे कहां, किसके साथ या कब गाएंगे। सभी को स्वतंत्रता है।”

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अभिषेक बनर्जी के बयान के बाद टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने एक्स पर लिखा कि विरोध और विरोध के नाम पर योजनाबद्ध असभ्यता के बीच अंतर है। उन्होंने कहा, “तृणमूल कार्यकर्ताओं की अंतरात्मा इस मामले का फैसला करेगी। इस संबंध में पार्टी की शीर्ष नेता ममता बनर्जी, जो कुछ भी कहती हैं, वही अंतिम शब्द है।” कुणाल घोष की टिप्पणी ममता बनर्जी की बातों से मेल खाता है। अभिषेक के लिए बड़ी भूमिका को लेकर टीएमसी में तनाव के बीच ममता बनर्जी ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी के मामलों में उनकी राय अंतिम है।

टीएमसी के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी को पार्टी में अभिषेक के आलोचकों में से एक माना जाता है। उन्होंने भी कुणाल घोष का समर्थन करते हुए कहा, “टीएमसी कार्यकर्ताओं की सभी भावनाएं ममता बनर्जी के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं। हम अपने कार्यक्रमों में किसी ऐसे व्यक्ति को (प्रदर्शन) क्यों करने देंगे जिसने उनका अपमान किया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया? मैंने आर जी कर के विरोध के दौरान कई नेताओं को बोलते नहीं देखा। कुणाल ने बोला, मैंने बोला। कुणाल ने जूनियर डॉक्टरों का भी समर्थन किया, जिन्हें मेडिकल कॉलेजों से इसलिए बाहर निकाला जा रहा है क्योंकि वे तृणमूल का समर्थन करते हैं। मैंने उनके लिए अदालत में लड़ाई लड़ी।”

ममता ने अभिषेक के करीबियों को लगाई फटकार

इसके बाद ममता बनर्जी ने अभिषेक के करीबियों’ को फटकार लगाई जब ये मतभेद खुलेआम सामने आ रहे थे। गुरुवार को सीएम ममता ने मंत्री ब्रत्य बसु और स्नेहाशीष चक्रवर्ती की आलोचना की और बीरभूम के जिला मजिस्ट्रेट को फटकार लगाई। इसे पार्टी के बीरभूम प्रमुख और कद्दावर नेता अनुब्रत मंडल को फटकार के रूप में देखा गया। अभिषेक के करीबी एक और पार्टी नेता अनुब्रत पिछले सितंबर में जेल से बाहर आए और फिर से इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

स्कूलों में सेमेस्टर सिस्टम शुरू करने पर सवाल उठाते हुए ममता बनर्जी ने शिक्षा मंत्री बसु से पूछा, “मुझे मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला कि प्राथमिक स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम शुरू किया जा रहा है। मुझे और मुख्य सचिव को सूचित किए बिना ब्रत्य ने ऐसा नीतिगत फैसला कैसे ले लिया?” ममता ने परिवहन विभाग की भी खिंचाई करते हुए कहा, “क्या मंत्री या सचिव कभी सड़कों पर यह देखने के लिए निकलते हैं कि आम लोगों को क्या झेलना पड़ रहा है?”

टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री ने कहा, “दीदी कुछ विभागों के प्रदर्शन को लेकर नाराज़ थीं। हालांकि आप देख सकते हैं कि उन्होंने अभिषेक के करीबी माने जाने वाले मंत्रियों पर ज़्यादा नाराज़गी जताई। उन्होंने एक ख़ास ज़िले के नेता को ख़ास तरजीह देने के लिए बीरभूम के डीएम को भी फटकार लगाई। बीरभूम में हर कोई जानता है कि अनुब्रत अभिषेक के बहुत नज़दीक हैं। जब से वे जमानत पर जेल से बाहर आए हैं, वे इस क्षेत्र में अपनी पकड़ फिर से बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मूल रूप से यही वजह है कि सीएम ने डीएम को डांटा।”

हालांकि स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने ममता बनर्जी की आलोचना को कमतर आंकने की कोशिश की। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “सीएम ने अपनी चिंताए व्यक्त की हैं। वे हमेशा लोगों के हितों को ध्यान में रखती हैं और गुरुवार की बैठक में यह बात सामने आई।” टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार अभिषेक बनर्जी और उनकी बुआ के बीच जारी तनाव का स्रोत बहुत देरी से हो रहा संगठनात्मक फेरबदल है।

पिछले कुछ महीनों से अभिषेक उन क्षेत्रों में टीएमसी जिला अध्यक्षों को बदलने का मामला बना रहे हैं, जहां पार्टी ने लोकसभा चुनावों में औसत से कम प्रदर्शन किया था। नवंबर में जब उनके समर्थक अभिषेक को जन्मदिन की बधाई देने के लिए इकट्ठा हुए, तो अभिषेक ने उनसे कहा कि फेरबदल प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने कहा, “सीपीआई(एम) इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि अगर कोई पार्टी सिर्फ वफादारी पर ध्यान केंद्रित करती है, तो उसके साथ क्या हो सकता है। मैंने हमारी अध्यक्ष को एक सूची भेजी है। वह फैसला लेंगी।” हालांकि ममता बनर्जी अपने वफादारों की इस आशंका को दूर करने की कोशिश कर रही हैं कि अभिषेक के नेतृत्व वाली पार्टी में उनका भविष्य कैसा होगा।