बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को दिल्ली में चुनाव आयोग की पीठ से मुलाकात की और दावा किया कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर के कारण अब तक कम से कम 40 लोगों की मौत हुई है। हालांकि चुनाव आयोग ने इस आरोप को खारिज कर दिया। चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करने वाले तृणमूल प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार के हाथ खून से सने हैं।

बीएलओ पर दबाव न डालें या धमकी नहीं दें- चुनाव आयोग

पश्चिम बंगाल में जारी एसआईआर की प्रक्रिया के बीच तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन के नेतृत्व में पार्टी के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। आयोग के अधिकारियों ने बताया कि बैठक के दौरान तृणमूल नेताओं से कहा गया कि एसआईआर के तहत गणना फार्म वितरण प्रक्रिया के दौरान बूथ स्तरीय अधिकारियों (BLO) की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। एक अधिकारी ने बाद में बताया, “निर्वाचन आयोग ने तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से यह भी कहा कि वे मृत, ट्रांसफर और डुप्लिकेट मतदाताओं के संबंध में बीएलओ पर दबाव न डालें या धमकी नहीं दें।”

प्रतिनिधिमंडल में कौन से नेता शामिल?

आयोग ने प्रतिनिधिमंडल से यह भी कहा कि राजनीतिक बयानबाजी उनका विशेषाधिकार है, लेकिन उन्हें चुनाव प्रक्रियाओं से संबंधित गलत सूचना फैलाने से बचना चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोकसभा सांसदों में शताब्दी रॉय, कल्याण बनर्जी, प्रतिमा मंडल, साजदा अहमद और महुआ मोइत्रा और राज्यसभा सांसदों में डोला सेन, ममता ठाकुर, साकेत गोखले और प्रकाश चिक बडाइक थे। ओब्रायन ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पार्टी ने पांच सवाल उठाए, लेकिन मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने उनका कोई जवाब नहीं दिया।

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डेरेक ओब्रायन ने कहा, “हमने बैठक की शुरुआत ही यह कहते हुए की कि सीईसी के हाथ खून से सने हैं। हमने पांच सवाल उठाए। इसके बाद करीब 40 मिनट में कल्याण बनर्जी, महुआ मोइत्रा और ममता ठाकुर ने अपनी बात रखी और जो कहना था वो कहा। इसके बाद सीईसी ने एक घंटे तक बिना रुके बात की। जब हम बोल रहे थे, तब हमें भी नहीं टोका गया, लेकिन हमें हमारे पांच सवालों में से किसी का भी जवाब नहीं मिला।”

चुनाव आयोग अधिकारियों ने कहा कि आयोग ने तृणमूल प्रतिनिधिमंडल द्वारा व्यक्त की गई सभी चिंताओं और आरोपों का बिंदुवार खंडन किया। आयोग ने उनसे 9 दिसंबर के बाद अपने दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करने का आग्रह किया, जब ड्राफ्ट सूची उनके साथ शेयर की जाएगी। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘तब तक उन्हें बीएलओ, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों और जिला निर्वाचन अधिकारियों के स्वतंत्र कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जो चुनाव संबंधी कार्यों के लिए प्रतिनियुक्ति पर राज्य सरकार के कर्मचारी हैं।”

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के DGP से क्या कहा?

इसके अलावा चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (DGP) और कोलकाता पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि बीएलओ पर राजनीतिक पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा दबाव न डाला जाए और न ही धमकाया जाए। महुआ मोइत्रा ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने सीईसी से मिलकर उन्हें 40 ऐसे लोगों की सूची सौंपी, जिनकी मौत कथित तौर पर एसआईआर प्रक्रिया से जुड़ी थी। हालांकि उन्होंने कहा कि आयोग ने इन्हें केवल आरोप कहकर खारिज कर दिया।

तृणमूल सांसदों ने आयोग से सवाल किया कि यह प्रक्रिया पूर्वोत्तर राज्यों में क्यों नहीं की जा रही है, जहां बांग्लादेश और म्यांमार के साथ सीमाएं साझा करने के कारण घुसपैठ का खतरा भी बना रहता है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि मतदाता सूची, जिसके आधार पर 2024 का लोकसभा चुनाव हुआ था, अचानक अविश्वसनीय कैसे हो गई।

एसआईआर की अवधारणा के खिलाफ नहीं- डेरेक ओब्रायन

पार्टी नेता डेरेक ओब्रायन ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी एसआईआर की अवधारणा के खिलाफ नहीं है लेकिन उस अनियोजित तरीके का कड़ा विरोध करती है जिसके तहत सीईसी और निर्वाचन आयोग इसे आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर चिंता व्यक्त की और आयोग द्वारा नियमों में हाल में किए गए संशोधन का उल्लेख किया, जो बाहरी बूथ स्तरीय एजेंटों (BLO) की नियुक्ति की अनुमति देता है। तृणमूल ने सीईसी को यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि एक करोड़ मतदाताओं के नाम हटा दिए जाएंगे। तृणमूल के एक नेता ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने इन टिप्पणियों पर कोई संज्ञान नहीं लिया है और न ही भाजपा द्वारा किये जा रहे दावे को खारिज किया है।