पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। पार्टी की तरफ से लोगों से संवाद के लिए कई कैंपेन शुरू किए गए हैं। इन्हीं में से एक कैंपेन ‘दीदी को बोलो’ है। इस कैंपेन के अंतर्गत ममता बनर्जी के एक मंत्री रबिंद्र नाथ घोष की सार्वजनिक रूप से किरकिरी हो गई।

आंचलपाड़ा में जब घोष अभियान का प्रचार कर रहे थे तभी तृणमूल कांग्रेस के समर्थक इमादउल हक का गुस्सा फूट पड़ा। इमाद ने कहा कि उसने सात साल पहले तूफानगंज में एक आदमी को नौकरी के लिए 7 लाख रुपये दिए। उस आदमी ने दावा किया था कि वह टीएमसी का नेता है।

हक ने कहा कि उस आदमी ने मेरे बेटे की नौकरी लगाने की बात कही थी लेकिन आज की तारीख में भी मेरा बेटा बेरोजगार है। मैंने अन्य नेताओं से भी संपर्क किया लेकिन ना तो मेरे बेटे की नौकरी लगी और ना ही मुझे मेरे पैसे वापस मिले। उसने घोष से कहा कि आप लोगों को इसे देखना चाहिए और इस तरह के काम पर रोक लगानी चाहिए।

ममता सरकार के मंत्री रबिंद्रनाथ घोष ‘दीदी को बोलो’ कैंपेन के दौरान पार्टी की तरफ से लोगों को टीशर्ट, छाता व कार्ड बांट रहे थे। इन पर ममता बनर्जी का फोन नंबर लिखा था। इस दौरान रबिंद्र नाथ घोष और गौतम देब को लोगों ने टीएमसी नेताओं के भ्रष्टाचार की खूब शिकायतें कीं।

चारेपार में तृणमूल समर्थक रोकेया बीवी ने भी अपनी भड़ास निकाली। रोकेया ने मंत्री से पूछा, ‘क्यों हमें अपने गांव में खराब सड़कों के बारे में दीदी को बताने की जरूरत है। क्यों नहीं उनके नेता और मंत्री यहां पीने के पानी की समस्या को दूर करते हैं।’ रोकेया ने कहा कि हमें यहां कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

भाजपा के समर्थक हमें धमकाते हैं और अपनी पार्टी में शामिल होने को कहते हैं। तृणमूल नेताओं को यह सब देखना चाहिए। पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमें इस तरह की धमकियों का सामना ना करना पड़े। जलपाईगुड़ी में भी देब को इसी तरह की शिकायतों का सामना करना पड़ा। करीब सभी लोग गैरकानूनी भूमि सौदे को लेकर दुखी थे।