पिछले साल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। ये मामला काफी सुर्खियों में था और डॉक्टरों ने कई हफ्तों तक हड़ताल किया। हालांकि पीड़ित परिवार का दावा है कि अभी तक उन्हें न्याय नहीं मिला। इसीलिए आज पीड़ित परिवार ‘नबन्ना मार्च’ में शामिल हुआ। पुलिस ने इसमें लाठीचार्ज कर दिया और डॉक्टर के माता-पिता कथित तौर पर घायल हो गए।
पीड़ित डॉक्टर की मां को निजी अस्पताल में कराया गया भर्ती
सूत्रों ने बताया कि पीड़ित डॉक्टर की मां को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। माता-पिता ने दावा किया है कि रैली को रोकने के प्रयास में पार्क स्ट्रीट चौराहे पर तैनात कोलकाता पुलिस के जवानों ने उन दोनों की पिटाई की। हालांकि पुलिस ने सभी आरोपों से इनकार किया है।
पुलिस ने मुझे जमीन पर पटका और चूड़ियां तोड़ दीं- पीड़ित डॉक्टर की मां
पीड़िता की मां ने दावा किया कि पुलिस लाठीचार्ज के दौरान उनका ‘शंख और पोला’ (बंगाली विवाहित महिलाएं जो चूड़ियां पहनती हैं) टूट गया। पीड़ित मां ने कहा, “पुलिस ने बैरिकेड लगाकर हमें रोकने की कोशिश की। आप हमसे क्यों डरते हैं? हमारे पास कोई हथियार नहीं है, हम बस अपनी बेटी के लिए न्याय मांगने आए हैं।” पीड़िता की मां ने आरोप लगाते हुए कहा, “पुलिस ने मुझे जमीन पर गिरा दिया। उन्होंने मेरा शंख (पारंपरिक शंख चूड़ी) तोड़ दिया और मेरे माथे पर चोट आई।”
इसके बाद डीसी (पोर्ट) हरिकृष्ण पई ने मीडियाकर्मियों से कहा, “माता-पिता को हिरासत में नहीं लिया गया है। लाठीचार्ज के दौरान माता-पिता के घायल होने का कोई आरोप नहीं है। अगर कोई आरोप आता है तो हम निश्चित रूप से उसकी जांच करेंगे।”
घायल होने के बाद पीड़िता की मां को अस्पताल ले जाया गया और प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार अब उनकी हालत स्थिर है। एक अस्पताल अधिकारी ने कहा, “उनके माथे पर हेमटोमा (एक घाव जहां खून जमा हो जाता है) है। आंतरिक और बाहरी दोनों चोटों की गंभीरता का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन किया जाएगा।” अस्पताल के एक सूत्र ने कहा, “पिता की हालत तुलनात्मक रूप से बेहतर है। उन्हें भर्ती नहीं किया जाएगा, लेकिन वे अपनी पत्नी के साथ आएंगे।”
शुभेंदु अधिकारी का बयान
पूरे मामले पर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “मां पिता को निगरानी में रखा जाएगा और उनका सीटी स्कैन कराया जाएगा। वह रो रही थीं और बात करने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन मैंने नहीं किया। मुझे लगता है कि उन्हें शर्म आ रही होगी कि अपनी बेटी के लिए न्याय मांगने पर उन्हें पीटा गया।”
पीड़िता की मां की चोट के बारे में सुनकर असफाकउल्लाह नैय्या, देबाशीष हलदर और अन्य प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर उनसे मिलने गए। देबाशीष हलदर ने कहा, “हम उनसे इसलिए नहीं मिल पाए क्योंकि उनकी तबियत अभी ठीक नहीं है।” वहीं असफाकउल्लाह ने कहा, “यह प्रशासन हमेशा बल प्रयोग करके किसी भी विरोध आंदोलन को रोकने की कोशिश करता है। पहले भी उन्होंने हमारे साथ ऐसा किया था। हमने इस नबन्ना अभियान का समर्थन नहीं किया था। इसलिए हमने इसमें हिस्सा नहीं लिया, लेकिन पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर लाठीचार्ज कैसे कर सकती है? यह स्वीकार्य नहीं है।”
‘कालीघाट चलो’ मार्च को भी रोका गया
अभय मंच और अन्य गैर-राजनीतिक संगठनों द्वारा एक और रैली ‘कालीघाट चलो’ का आयोजन किया गया था, लेकिन शनिवार शाम को हाजरा मोड़ पर इसे भी रोक दिया गया। इस साल जून में कालीगंज में तृणमूल कांग्रेस की एक रैली के दौरान कथित देसी बम हमले में मारी गई 9 वर्षीय तमन्ना खातून की मां सबीना यास्मीन भी रैली में मौजूद थीं।
सबीना यास्मीन ने कहा, “मुझे भी न्याय नहीं मिला आरजी कर पीड़िता के माता-पिता की तरह। उन्होंने मेरी 9 साल की बेटी को मारने से पहले एक पल भी नहीं सोचा।” इस बीच तृणमूल नेता देबांग्शु भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि भाजपा अशांति फैला रही है। उन्होंने कहा, “हम पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा अशांति फैलाने के लिए यह मार्च कर रही है। उन्होंने एक ऐसी मां की भावनाओं का अपमान किया है जिसने एक साल पहले ही अपनी बेटी खो दी थी।”