इस पर केंद्र ने अदालत को बताया कि यदि कानूनों पर अमल रोक दिया गया तो किसान बातचीत के लिए आगे नहीं आएंगे।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रह्मण्यम के एक पीठ ने जब अटार्नी जनरल को समझाया कि कानूनों पर अमल रोकने की बात वार्ता को संभव बनाने के लिए ही की जा रही है तो वेणुगोपाल ने कहा कि उन्हें सरकार से निर्देश लेने के लिए कुछ समय चाहिए।

सुनवाई के दौरान पीठ ने कई अहम टिप्पणियां भी की। मसलन पीठ ने कहा कि किसानों को प्रदर्शन का तब तक अधिकार है जब तक कि किसी की जानमाल या संपत्ति के नुकसान का खतरा न हो। इस अधिकार को संतुलित करने या इसमें कटौती करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।

पीठ ने देश के किसानों की दुर्दशा की बात मानी। साथ ही संकेत दिया कि उसकी इच्छा सरकार और किसानों के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने की है। पीठ ने यह भी कहा कि गतिरोध को दूर करने के लिए एक निष्पक्ष व स्वतंत्र समिति बनाई जाएगी। किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा पी साईनाथ जैसे विशेषज्ञ भी इसमें शामिल किए जा सकते हैं। इस दौरान किसान अपना आंदोलन जारी रख सकते हैं।

वेणुगोपाल ने कहा कि राजधानी की सीमाओं पर किसानों के जमावड़े से कोविड-19 का जोखिम बढ़ा है। उनमें से कोई भी चेहरे पर मास्क नहीं लगा रहा है। बड़ी तादाद में किसान एक साथ मिल जुलकर बैठे हैं। यहां से वे अपने गांवों को जाएंगे और वहां कोरोना संक्रमण फैलाएंगे।

बेशक आंदोलन करना उनका अधिकार है पर वे औरों के मौलिक अधिकार का हनन तो नहीं कर सकते। पीठ ने कहा, ‘अगर किसानों को इतनी ज्यादा संख्या में शहर में आने की अनुमति दी गई तो इस बात की गारंटी कौन लेगा कि वे हिंसा का रास्ता नहीं अपनाएंगे? न्यायालय इसकी गारंटी नहीं ले सकता। न्यायालय के पास ऐसी किसी भी हिंसा को रोकने की कोई सुविधा नहीं है। यह पुलिस और दूसरे प्राधिकारियों का काम है कि वे दूसरों के अधिकारों की रक्षा करें।’ पीठ ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के अधिकार का मतलब पूरे शहर को अवरूद्ध करना नहीं हो सकता।

पंजाब सरकार ने अदालत को बताया कि केंद्र और किसानों के बीच वार्ता में मददगार की भूमिका अदा करने वाले लोगों का एक समूह बनाने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर उसे कोई एतराज नहीं है। पंजाब सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि यह सरकार और केंद्र दोनों को ही तय करना है कि समिति के सदस्य कौन होंगे।

किसानों के आंदोलन के बारे में मुख्य न्यायाधीश बोले कि दिल्ली को घेरने से यहां के लोगों के भूखों मरने की नौबत आ सकती है। उससे आपका उद्देश्य पूरा नहीं होगा। वह तो बातचीत से ही पूरा हो सकता है। केवल विरोध में बैठे रहने से कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने यहां तक भी कहा कि वे भी भारतीय हैं। किसानों की तकलीफ से अवगत हैं। उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने अटार्नी जनरल से यह आश्वासन भी चाहा कि आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी जब तक अदालत बातचीत शुरू नहीं कराती। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि किसान कोई भीड़ नहीं हैं।

गुरुवार को अदालत ने कोई आदेश तो पारित नहीं किया पर कहा कि आगे सुनवाई शीतकाल के अवकाश के लिए गठित अवकाशकालीन पीठ करेगा। मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल से यह सवाल भी किया कि क्या किसानोें ने सारे शहर की सड़कों को अवरूद्ध कर रखा है। वेणुगोपाल ने कहा कि वे केवल हाईवे पर धरना दे रहे हैं तो न्यायमूर्ति बोबडे बोले कि टिकरी और सिंघू बार्डर ही तो पहले से अवरूद्ध हैं। पूरी दिल्ली तो अवरूद्ध नहीं है।

मांगों पर सरकार बीच का रास्ता निकाले : किसान महापंचायत

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में 28 नवंबर से यूपी गेट पर चल रहे किसान आंदोलन में गुरुवार को 18 खाप की महापंचायत हुई। इसमें खाप के अध्यक्षों ने आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होती तब तक वह साथ उनके खड़े हैं। महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि किसान दो कदम पीछे हटने को तैयार हैं, लेकिन सरकार भी दो कदम पीछे हटे। जो कृषि कानून बने हैैं वह वापस नहीं लिए जा सकते तो सरकार बीच का रास्ता निकाले।

महापंचायत में नरेश टिकैत ने कहा कि करीब 45 संगठन किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। सरकार को समझना चाहिए तीनों कृषि कानून वापस नहीं हो सकते तो बीच का रास्ता निकालना चाहिए। यदि किसानों की बात नहीं मानी जाती है तो एक आवाज पर लाखों किसान दिल्ली की सीमा पर पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में आने से पहले प्रशासन ने ट्रैक्टर से आने से मना कर दिया। इससे ज्यादातर किसानों को यूपी गेट पर आने से रोक दिया गया।

महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को राहत दी है। साथ ही शांति से आंदोलन करने की अनुमति दी। किसानों ने दिल्ली में जाने वाली आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं रोकी है। एंबुलेंस को किसान खुद ही निकालते हैं।

यूपी गेट पर 18 खाप अध्यक्ष महापंचायत में पहुंचे। खाप में प्रतिनिधियों ने कहा कि करीब दस खाप के अध्यक्षों और किसानों को पुलिस व प्रशासन ने रोक लिया, जिससे वह महापंचायत में नहीं पहुंच सके। खाप अध्यक्षों ने कहा कि सरकार किसानों को तीनों कानूनों का फायदा बताने के लिए गांव-गांव जाकर लोगों को समझाने की बात कह रही है। ऐसे में जन जागरण अभियान चला कर किसानों को तीनों कानूनों की खामियां बताई जाएंगी।

बाबा राम सिंह के निधन से आहत बुजुर्ग ने जान दी

संत बाबा राम सिंह के निधन से आहत जसबीर सिंह नामक 60 साल के एक बुजुर्ग ने गुरुवार को करनाल गुरुद्वारे के सामने ट्रैक्टर के नीचे कूदकर अपनी जान दे दी। हरियाणा के करनाल के सिंघड़ा नानकसर गुरुद्वारा के प्रबंधक बाबा राम सिंह ने बुधवार को किसान आंदोलन में गोली मारकर अपनी जान दे दी थी। दूसरी ओर, दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों की ठंड और दिल के दौरे से मौतें जारी हैं। गुरुवार की सुबह टिकरी बॉर्डर और कुंडली बॉर्डर पर धरना पर बैठे दो किसान मृत पाए गए। ठंड और दिल के दौरे से दोनों की जान गई।

अधिकारियों के मुताबिक, करनाल में जान देने वाले ठरवा के निवासी जसबीर सिंह (60) बाबा राम सिंह से काफी प्रभावित थे और अक्सर उनके दर्शन के लिए गुरुद्वारा आते रहते थे। बुधवार को जसबीर सिंह को बाबा राम के निधन की खबर मिली तो वह काफी आहत हो गए थे। गुरुवार को वे बाबा के अंतिम दर्शन के लिए परिजनों के साथ गुरुद्वारा पहुंचे थे।

इसी दौरान वह गुरुद्वारा गेट पर लकड़ी से भरी आ रही ट्रैक्टर ट्राली के नीचे कूद गए और गंभीर रूप से घायल हो गए। गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बीच रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

दूसरी ओर, कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहा 38 वर्षीय एक किसान गुरुवार की सुबह मृत मिला। भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के नेता शिंगारा सिंह के अनुसार बठिंडा जिले के तुंगवाली गांव के जय सिंह और उनके भाई प्रदर्शन में शामिल थे। जय सिंह सुबह मृत मिले।

उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। शव को झज्जर जिले के बहादुरगढ़ के एक सरकारी अस्पताल में भेजा गया है। भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहान) के नेता ने बताया कि पंजाब के अभी तक 20 किसानों की मौत हो चुकी है। उधर, हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर जारी धरने में शामिल होने पंजाब से आए किसान का भीम सिंह नंबरदार (38) शव प्याऊ मनियारी के पास मिला।

शव को पोस्टमार्टम के बाद ग्रामीणों को सौंप दिया गया। भीम सिंह के गांव के रहने वाले गुरमीत सिंह ने बताया कि वह लगातार धरनास्थल पर खानपान का सामान लेकर आ रहे थे। वे फिलहाल प्याऊ मनियारी के पास खड़ी ट्रैक्टर-ट्रालियों में रुके थे।

कृषि सुधार कानून नए अध्याय
की नींव बनेंगे : तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से आग्रह किया कि वे राजनीतिक स्वार्थ के लिए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रम से बचें। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और किसानों के बीच ‘झूठ की दीवार’ खड़ी करने की साजिश रची जा रही है।

किसानों के नाम लिखे एक पत्र में तोमर ने दावा किया कि तीन कृषि सुधार कानून भारतीय कृषि में नए अध्याय की नींव बनेंगे, किसानों को और स्वतंत्र तथा सशक्त करेंगे। कृषि कानूनों को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए तोमर ने कहा कि इन सुधारों को लेकर उनकी अनेक राज्यों के किसान संगठनों से बातचीत हुई है और कई किसान संगठनों ने इनका स्वागत किया है।

उन्होंने कहा कि वे इससे बहुत खुश हैं और किसानों में एक नई उम्मीद जगी है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों से ऐसे किसानों के उदाहरण भी लगातार मिल रहे हैं, जिन्होंने नए कानूनों का लाभ उठाना शुरू भी कर दिया है। उन्होंने कहा कि इन कृषि सुधार कानूनों का दूसरा पक्ष ये है कि किसान संगठनों में एक भ्रम पैदा कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘देश का कृषि मंत्री होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि हर किसान का भ्रम दूर करूं। मेरा दायित्व है कि सरकार और किसानों के बीच दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में जो झूठ की दीवार बनाने की साजिश रची जा रही है उसकी सच्चाई और सही वस्तु स्थिति आपके सामने रखूं।’

तोमर ने कहा कि नए कानून लागू होने के बाद इस बार खरीद के लिए पिछले रिकॉर्ड टूट गए हैं। सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के नए रिकॉर्ड बनाए हैं और वह खरीद केंद्रों की संख्या भी बढ़ा रही है। तोमर ने कहा कि जो सरकार किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दे रही है और जिसने पिछले छह साल में एमएसपी के जरिए लगभग दोगुनी राशि किसानों के खाते में पहुंचाई, वह सरकार एमएसपी कभी बंद नहीं करेगी।

उन्होंने कहा, ‘एमएसपी जारी है और जारी रहेगी। मंडिया चालू हैं और चालू रहेंगी। एपीएमसी को और अधिक मजबूत किया जा रहा है। कृषि उपज मंडियां पहले की तरह काम करती रहेंगी।’ उन्होंने कहा, ‘कानून में साफ उल्लेख है कि जमीन पर किसान का ही मालिकाना हक रहेगा। सरकार नीयत और नीति दोनों से किसानों के लिए प्रतिबद्ध है।’

पुरी ने कहा, सरकार किसानों से बात करने को इच्छुक : केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बैठ कर बातचीत करने और मुद्दों का समाधान करने के लिए सरकार इच्छुक है। पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के हजारों की संख्या में किसान सिंघू और टिकरी बॉर्डर सहित दिल्ली से लगी अन्य सीमाओं पर पिछले एक पखवाड़े से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

एक आॅनलाइन कार्यक्रम में पुरी ने कहा, ‘मुझे इस बात से दुख हो रहा है कि प्रदर्शन कर रहे कई लोगों को पता ही नहीं है कि वे किस चीज का विरोध कर रहे हैं। सरकार अभी भी सभी किसानों को संदेश भेज रही है कि कृपया आएं और बात करें।’ उन्होंने कहा कि (किसानों की) तीन मांगें हैं- एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) समाप्त नहीं किया जाए, मंडिया बरकरार रहें और कोई भी गुप्त तरीके से किसानों की जमीन पर कब्जा ना कर सके- ये सभी स्वीकार कर ली गई हैं।