पश्चिम बंगाल में ‘सेक्युलर’ दुर्गा पूजा के दौरान अजान (मुस्लिमों को नमाज के लिए बुलाने वाली क्रिया) देने का एक वीडियो वायरल होने पर खासा विवाद पैदा हो गया और एक स्थानीय वकील ने इसके चलते अयोजकों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा गया है। इसी बीच वीडियो वायरल होने पर सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे तुष्टिकरण करार दिया। बीते शुक्रवार को कोलकाता हाई कोर्ट में वकील सांतनु सिन्हा ने स्थानीय फूलबागान पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत में कहा कि इससे उनकी ‘धार्मिक भावनाओं’ को ठेस पहुंची है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि स्थानीय टीएमसी नेता परेश पॉल सहित दस लोगों ने जानबूझकर राज्य में शांति भंग करने की कोशिश की। इन लोगों ने दुर्गा पूजा के दौरान अजान का एक वीडियो चलाया। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा स्थल से अजान का वीडियो चलाना बेहूदा है और ऐसा जानबूझकर किया गया। हिंदू धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए शत्रुतापूर्ण ऐसा किया गया।
वहीं आयोजनाकर्ताओं ने कहा कि बेवजह विवाद पैदा किया जा रहा है। बेलियाघाटा 33 पाली के क्लब सचिव परिमल देव ने कहा, ‘सभी जानते हैं कि कोलकाता में दुर्गापूजा पंडालों को एक तरह से सामाजिक संदेश देने के लिए बनाया जाता है। कार्यक्रम की थीम थी ‘हम एक हैं…अकेले नहीं’ और अपनी इस थीम को दिखाने के लिए हमने चर्च, मंदिर और मस्जिद के मॉडल का इस्तेमाल किया। हमारा मकसद यह दिखाना था कि मानवता सभी धर्मों से ऊपर है।’
#WATCH | Durga Puja pandal in Kolkata set up on the theme of religious unity pic.twitter.com/XJgVaGbsPV
— The Indian Express (@IndianExpress) October 6, 2019
जानना चाहिए कि इसी तरह साम्प्रदायिक सौहार्द का सुन्दर संदेश देते हुए पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के एक परिवार ने महा अष्टमी पर कुमारी पूजन के दौरान चार साल की मुसलमान बच्ची की पूजा की। जिले में अर्जुनपुर का रहने वाला दत्त परिवार 2013 से ही अपने घर में माता की पूजा करता है। इस साल उन्होंने पुरानी परंपराओं से हटकर साम्प्रदायकि सौहार्द के लिए कुछ करने की सोचा। महा अष्टमी के दिन कुमारी कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।
स्थानीय निकाय में अभियंता तमल दत्त ने बताया कि जातिगत और धार्मिक बाध्यताओं के कारण पहले हम सिर्फ ब्राह्मण कन्याओं के साथ कुमारी पूजन करते थे। हम सभी जानते हैं कि मां दुर्गा इस धरती पर सभी की मां हैं, उनका कोई धर्म, जाति या रंग नहीं है। इसलिए हमने परंपरा तोड़ी। उन्होंने कहा कि इससे पहले हमने गैर-ब्राह्मणों की पूजा की थी, इस बार मुसलमान लड़की की पूजा की है। (भाषा इनपुट)

