रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी ने B-Day पर चुनाव से ठीक पहले अपना बांग्ला चैनल लॉन्च कर दिया। अर्नब ने पत्रकार के तौर पर कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी का पहला इंटरव्यू किया था। अर्णब के मुताबिक, आज भी उनकी हसरत फिर से एक पबार सोनिया का इंटरव्यू करने की है। अर्णब की पत्नी सम्यब्रता गोस्वामी भी पत्रकार हैं और वह उनके साथ न्यूज चैनल में बतौर एडिटर और न्यूज प्रोड्यूसर काम करती हैं।

अर्णब के बारे में कहा जाता है कि आप उनसे प्यार कर सकते हैं या फिर घृणा, लेकिन उन्हें इग्नोर नहीं कर सकते। दरअसल उनका जीवन विवादों से घिरा रहा है। चाहे टीवी हो या फिर उसके बाहर की दुनिया अर्णब हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। उनके तीखे तेवर अक्सर नए विवाद पैदा करते हैं। टीवी पर बैठकर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, सांसद संजय राउत और मुंबई के पुलिस कमिश्नर को ललकारना उनके व्यक्तित्व की पहचान बन गया है।

तीखे तेवरों की वजह से अर्णब का महाराष्ट्र सरकार के साथ मुंबई पुलिस से 36 का आंकड़ा बन गया है। हाल ही में उन्हें दो साल पुराने आत्महत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया था। तब इस गिरफ्तारी के बाद बहस छिड़ी कि क्या यह फ्री स्पीच पर हमला है। केस डिजायनर अन्वय नाईक की खुदकुशी से संबंधित है।

पुलिस के मुताबिक, नाईक ने कथित तौर पर एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें गोस्वामी पर गंभीर आरोप लगाए थे। सुसाइड नोट में अर्णब पर डिजाइनर अन्वय नाईक का बकाया भुगतान न करने के आरोप लगाए गए। पुलिस ने मामले को 2019 में बंद कर दिया था। लेकिन मई 2020 में गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपराध जांच विभाग को मामले की फिर से जांच करने के आदेश दिए।

एक अन्य मामले में अर्णब गोस्वामी और उनकी पत्नी सम्यब्रता गोस्वामी पर मुंबई में आधी रात के वक्त हमला भी हुआ था। इसके अलावा टीआरपी घोटाले में भी उनका नाम सामने आया था। उन पर फेक न्यूज फैलाने का भी आरोप लगा था। 2017 में पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने उन पर तंज कसते हुए लिखा था, अर्णब कहते हैं कि गुजरात के सीएम निवास के पास उनकी कार पर हमला हुआ। सच यह है कि वह दंगों को कवर नहीं कर रहे थे।

अर्णब बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार और अमिताभ बच्चन के फैन हैं। उन्हें y श्रेणी की सुरक्षा मिली है। उन्हें बीजेपी का नजदीकी माना जाता है। इसकी वजह उनके परिवार की पृष्ठभूमि है। उनसे पिता मनोरंजन गोस्वामी रिटायर आर्मी ऑफिसर हैं और बीजेपी के टिकट पर गुवाहाटी से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उनके दादा रजनीकांत गोस्वामी कांग्रेस से जुड़े थे। डिबेट करना स्कूली दिनों से अर्णब का शगल रहा था। फ्री मार्केट की वकालत करने वाले अर्णब खुद को सेकुलर बताते हैं। उनका कहना है कि न तो वह संघी हैं और न ही कांग्रेसी। वह अर्णब गोस्वामी हैं और खुद की व्याख्या करने में समय को वह जाया नहीं करते हैं।