अयोध्या में विवादित स्थल पर मालिकाना हक से जुड़े केस में चल रही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने माना कि भगवान राम का जन्म उस स्थान पर हुआ था, जिसे राम चबूतरा के नाम से जाना जाता है। यह जगह विवादित स्थल के बाहरी घेरे में स्थित है। बोर्ड की ओर से पैरवी सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी कर रहे हैं।

जिलानी ने राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच से कहा कि वक्फ बोर्ड ने चबूतरा को राम के जन्मस्थान के तौर पर स्वीकार किया है। उनके मुताबिक, फैजाबाद जिला कोर्ट ने माना था कि 1992 में ध्वंस कर दिए गए बाबरी मस्जिद से 60 से 65 फीट की दूरी पर स्थित इस स्थल की हिंदू राम जन्मभूमि के तौर पर उपासना करते हैं।

इससे पहले, जस्टिस एसए बोबड़े ने जिलानी से पूछा था, ‘आपको चबूतरे को जन्म स्थान मानने पर कोई आपत्ति नहीं है?’ इसके जवाब में जिलानी ने अपनी बात रखी। जिलानी ने कहा, ‘शुरुआत में हमें थी। लेकिन जिला जज ने कहा कि इसे जन्मस्थान मानकर इसकी पूजा की जाती रही है।’ दरअसल, वह 1885 में फैजाबाद के जज द्वारा सुनाए गए उस फैसले का जिक्र कर रहे थे, जिसमें जज ने महंत रघुवर दास की ओर से दाखिल याचिका को रद्द कर दिया था। दास ने राम चबूतरा पर एक मंदिर बनाने की इजाजत मांगी थी।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने जानना चाहा कि 16 वीं शताब्दी में लिखे गए आइना-ए-अकबरी पुस्तक में मस्जिद का जिक्र क्यों नहीं है। इसी समयावधि में बाबरी मस्जिद का कथित तौर पर निर्माण किया गया था। यह किताब अकबर के दरबारी अबुल अफल द्वारा लिखी गई है। जिलानी ने इस किताब को आधार बनाकर इस दावे को सत्यापित करने की कोशिश की थी कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनाने के लिए कोई मंदिर नहीं गिराई गई। जिलानी के मुताबिक, दिवंगत इतिहासकार जादूनाथ सरकार ने कहा था कि आइना-ए-अकबरी में बारीक से बारीक जानकारियां हैं। ऐसे में अगर 1528 में अयोध्या में मंदिर गिराई जाती तो इस बात का जिक्र किताब में जरूर होता।

जस्टिस भूषण ने जिलानी को बताया कि हिंदू पक्ष का कहना है कि इस किताब में सभी डिटेल्स नहीं हैं। जिलानी ने कहा कि इसमें सिर्फ अहम जानकारियां हैं। इस पर जस्टिस भूषण ने कहा, ‘क्या आप कहना चाहते हैं कि मस्जिद महत्वपूर्ण नहीं है।’ जिलानी ने कहा, ‘यह सिर्फ अब महत्वपूर्ण हो गया है। उस वक्त (1528) में यह किसी अन्य मस्जिद की तरह ही थी।’ इस पर जस्टिस बोबड़े ने पूछा, ‘अगर कोई मस्जिद किसी बादशाह द्वारा बनवाई जाती है तो आप कैसे कह सकते हैं कि वो महत्वपूर्ण नहीं है?’ जिलानी ने कहा कि इसे बाबर ने नहीं, बल्कि उनके सिपहसालार मीर बाकी ने बनवाया था।

इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अगर इस मस्जिद का निर्माण बाबर के निर्देश पर हुआ तो यह महत्वपूर्ण था। जिलानी ने दलील दी कि यही हिंदू पक्ष की दलील है कि इसका निर्माण बाबर द्वारा करवाया गया है। जस्टिस बोबड़े ने कहा कि यह दावा गलत भी हो सकता है। इस पर जिलानी ने कहा कि ऐसी हालत में उनकी याचिका रद्द हो जानी चाहिए। इस पर बोबड़े ने कहा कि एक याचिका सिर्फ इसलिए नहीं रद्द की जा सकती क्योंकि उसका कुछ हिस्सा गलत है।