सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और अन्य के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र के आरोप हटाने का विरोध करने वाली याचिका पर मंगलवार को उनसे जवाब मांगा।
मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाले पीठ ने बाबरी मस्जिद मामले के एक याचिकाकर्ता हाजी महबूब अहमद द्वारा दायर एक पृथक याचिका पर भाजपा नेता और सीबीआइ को नोटिस जारी किए। अहमद ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि केंद्र में सरकार बदलने के चलते सीबीआइ अपना रुख नरम कर सकती है।
इससे पहले सीबीआइ बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आडवाणी और 19 अन्य के खिलाफ षडयंत्र के आरोप हटाने संबंधी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी। सीबीआइ ने मंगलवार को संक्षिप्त सुनवाई के दौरान मामले में अपील दायर करने में हुई देरी के संबंध में ताजा शपथपत्र दायर करने के लिए समय मांगा। अदालत ने जांच एजंसी की याचिका मंजूर करते हुए उसे जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दर्ज कराने में देरी के लिए सीबीआइ की खिंचाई की थी। सीबीआइ ने हाई कोर्ट के 21 मई 2010 को सुनाए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने नेताओं के खिलाफ आरोप हटाने के विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सीबीआइ की विशेष अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार और मुरली मनोहर जोशी के ऊपर लगे षडयंत्र रचने के आरोपों को हटा दिया गया था। इनके अलावा सतीश प्रधान, सीआर बंसल, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी ऋतंभरा, वीएच डालमिया, महंत अवैद्यनाथ, रामविलास वेदांती, परमहंस रामचंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धरम दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे के खिलाफ भी आरोप हटाए गए थे। जबकि बाल ठाकरे के निधन के बाद उनका नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया गया था।
PHOTOS बाबरी केस: आडवाणी-जोशी की मुश्किलें बढ़ीं, नोटिस जारी
हाई कोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए सीबीआइ को रायबरेली अदालत में आडवाणी और अन्य के खिलाफ अन्य आरोपों के मामले में आगे बढ़ने की अनुमति दी थी। यह मामला रायबरेली अदालत के अधिकार क्षेत्र में आता है। हाई कोर्ट ने मई 2010 में सुनाए फैसले में कहा था कि विशेष अदालत द्वारा चार मई 2001 को सुनाए गए फैसले के खिलाफ सीबीआइ की पुनरीक्षण याचिका में कोई दम नहीं है।
विवादित ढांचा गिराए जाने के संबंध में दो मामले हैं – एक मामला आडवाणी और उन अन्य लोगों के खिलाफ है जो छह दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के समय अयोध्या के राम कथा कुंज में मंच पर थे। जबकि एक अन्य मामला उन लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ है जो विवादित ढांचे में और उसके आसपास मौजूद थे।
सीबीआइ ने आडवाणी और 20 अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 153 ए (वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 153 बी ( राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाना) और 505 ( सार्वजनिक शांति भंग करने करने या दंगा भड़काने के इरादे से झूठे बयान, अफवाहें आदि फैलाना) के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
जांच एजंसी ने बाद में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत भी आरोप लगाया था। जिसे विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था और बाद में हाई कोर्ट ने भी विशेष अदालत का यह निर्णय बरकरार रखा था।