Chhattisgarh Encounter: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर‍ जिले में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का एक बड़ा ऑपरेशन जारी है। इसमें सुरक्षाबलों ने माओवादियों के एक बड़ा नेता नंबाला केशव राव को मार गिराया है। उसे बसवा राजू के नाम से भी जाना जाता है। वह माओवादियों का कितना बड़ा नेता था इस बात का अंदाजा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ट्वीट से ही लगाया जा सकता है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक उपलब्धि। आज, छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक ऑपरेशन में, हमारे सुरक्षा बलों ने 27 खूंखार माओवादियों को मार गिराया है, जिनमें सीपीआई-माओवादी के महासचिव, शीर्ष नेता और नक्सल आंदोलन की रीढ़ नंबाला केशव राव उर्फ ​​बसवराजू भी शामिल हैं। नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के तीन दशकों में यह पहली बार है कि हमारे बलों द्वारा एक महासचिव स्तर के नेता को मार गिराया गया है। मैं इस बड़ी सफलता के लिए हमारे बहादुर सुरक्षा बलों और एजेंसियों की सराहना करता हूं। यह बताते हुए भी खुशी हो रही है कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के बाद, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।’

बसवा राजू कौन हैं?

2018 में बसव राजू ने गणपति की जगह सीपीआई (Maoist) महासचिव का पद संभाला। गणपति या मुप्पला लक्ष्मण राव 2004 में पीपुल्स वार और एमसीसी के विलय के बाद सीपीआई (Maoist) के पहले महासचिव थे। माना जाता है कि वह फिलीपींस भाग गया है। आरईसी वारंगल से बसवा राजू ने ग्रेजुएशन की है और उसकी उम्र लगभग 70 साल है।

बसवा राजू को चिंतलनार में सीआरपीएफ के 76 जवानों को मारने वाले माओवादियों का नेतृत्वकर्ता माना जाता है। इतना ही नहीं झीरम घाटी में कांग्रेस के काफिले पर घात लगाकर हमला करने के लिए भी उसे जाना जाता है। इसमें राज्य के पार्टी नेताओं को चाकू घोंप दिया था और गोली मार दी गई थी। वह आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले से है और बचपन से ही सीपीआई (ML) पीपुल्स वार ग्रुप की तरफ उसका ज्यादा आकर्षण रहा है। 1980 के दशक की शुरुआत में वह इसमें शामिल हो गया।

छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई

जूनियर कॉलेज में कबड्डी खिलाड़ी था बसवा राजू

माओवादी विचारधारा की तरफ खींचने से पहले बसवा राजू स्कूल और जूनियर कॉलेज में कबड्डी खिलाड़ी था। उसने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वारंगल से बीटेक की डिग्री हासिल की थी। बसव राजू सीपीआई (Maoist) सैन्य आयोग का नेतृत्व कर रहा था। केशव राव ने ऐसे समय में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की थी, जब एनआईटी माओवादी विचारधारा का केंद्र बन गया था। इतना ही नहीं इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले कई स्टूडेंट माओवादी आंदोलन में शामिल हो गए थे। उसे लिट्टे जैसे अन्य गुरिल्ला आंदोलनों के साथ मेलजोल रखने व आंध्र प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर काम करने के लिए जाना जाता है।

आईईडी तैयार करता था बसवा राजू

बसवा राजू को एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट के तौर पर भी जाना जाता है। वह सुरक्षाबलों पर घात लगाने के लिए घातक IED तैयार करता था। एनआईए ने उस पर करीब 1 करोड़ रुपये का इनाम भी रखा था। 23 सितंबर 2018 को माओवादियों ने अराकू तेलुगु देशम पार्टी के विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक सिवेरी सोमा की हत्या कर दी थी। यह सब कुछ बसवराज की प्लानिंग का ही नतीजा मान रहे थे।

आखिर अबूझमाड़ एनकाउंटर क्या है?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव के चार जिलों के जिला रिजर्व गार्ड ने एक सूचना के आधार पर एक अभियान चलाया। इसमें बताया गया था कि अबूझमाड़ के जंगल में माओवादी का बड़ा नेता छिपा हुआ है। अबूझमाड़ गोवा राज्य से भी बड़ा अनसर्वेयर्ड लैंड है। इसका एक बड़ा हिस्सा नारायणपुर में है, लेकिन यह बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले तक भी फैला हुआ है। छत्तीसगढ़ के इस गांव में पहली बार पहुंची बिजली