Ayodhya Ram Mandir-Babri Masjid Case Verdict: रामजन्मभूमि आंदोलन के समय कारसेवा में शामिल हुए अशोक पुरोहित की खुशी का पारावार नहीं है कि वह अब अपने जीतेजी राममंदिर देख सकेंगे। वर्ष 1992 में अयोध्या में कारसेवा में शामिल होने वाले 66 वर्षीय पुरोहित ने अयोध्या मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि अब वह इस जीवन में ही भव्य राम मंदिर देख सकेंगे।
कार सेवक ने कही यह बात: पुरोहित ने 1992 में राम जन्मभूमि आंदोलन के चरम पर होने पर वहां कारसेवा में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस समय अयोध्या गया था और अंदर से विवादित ढांचा देखा था। यह मंदिर की तरह दिखता था। आज सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने भी यह साबित कर दिया कि यह मंदिर है।’’
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कही यह बात: कारसेवक ने कहा कि अब मैं इस जीवन में भव्य राम मंदिर ही देख सकता हूं। अब एक आशा बनी है जो हम सालों पहले भूल चुके थे। बता दें कि शनिवार को कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के हक में फैसला सुनाया था।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला: बता दें कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने शनिवार को सर्वसम्मति से अपने फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण की राहें खोल दीं और उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी में एक ‘‘प्रमुख’’ जगह पर नयी मस्जिद के निर्माण के लिये इसके एवज में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को आवंटित करने का केंद्र को निर्देश दिया।

