Ayodhya Ram Mandir-Babri Masjid Case Verdict: 491 साल पुराने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट शनिवार (9 नवंबर) सुबह 10:30 बजे ऐतिहासिक फैसला सुनाएगा। सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर एक नोटिस के माध्यम से शुक्रवार (8 नवंबर) शाम इस बारे में जानकारी दी गई। बता दें कि 5 जजों की बेंच ने 16 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसले को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह किसी की हार या जीत का फैसला नहीं है।

आइए जानते हैं कि इस मामले में बाबरी मस्जिद बनने से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ?

1528 : मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया।

1885 : महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर विवादित ढांचे के बाहर शामियाना लगाने की अनुमति मांगी। अदालत ने याचिका खारिज कर दी।

1949 : विवादित ढांचे के बाहर केंद्रीय गुंबद में रामलला की मूर्तियां स्थापित की गईं।

1950 : रामलला की मूर्तियों की पूजा का अधिकार हासिल करने के लिए गोपाल सिमला विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर की।
1950: परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा जारी रखने और मूर्तियां रखने के लिए याचिका दायर की।

1959 : निर्मोही अखाड़ा ने जमीन पर अधिकार दिए जाने के लिए याचिका दायर की।

अयोध्या विवाद में Supreme Court के फैसले पर पल-पल की नजर

1981 : उत्तरप्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने स्थल पर अधिकार के लिए याचिका दायर की।

1, फरवरी 1986 : स्थानीय अदालत ने सरकार को पूजा के मकसद से हिंदू श्रद्धालुओं के लिए स्थान खोलने का आदेश दिया।

14, अगस्त 1986 : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित ढांचे की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

6, दिसंबर 1992 : बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहाया गया।

3, अप्रैल 1993 : विवादित स्थल में जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र ने ‘अयोध्या में निश्चित क्षेत्र अधिग्रहण कानून’ पारित किया। अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में कई रिट याचिकाएं दायर की गईं। इनमें इस्माइल फारूकी की याचिका भी शामिल थी। हाई कोर्ट ने अनुच्छेद 139ए के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर रिट याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया, जो उच्च न्यायालय में पेंडिंग थीं।

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24, अक्टूबर 1994 : हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए इस्माइल फारूकी मामले में कहा कि मस्जिद इस्लाम से जुड़ी हुई नहीं है।
अप्रैल 2002 : हाई कोर्ट में विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की।

13, मार्च 2003 : हाई कोर्ट ने असलम उर्फ भूरे मामले में कहा, अधिग्रहीत स्थल पर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है।
30, सितंबर 2010 : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2 : 1 बहुमत से विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच 3 हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

9, मई 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

26, फरवरी 2016 : सुब्रमण्यम स्वामी ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाए जाने की मांग की।

21, मार्च 2017 : सीजेआई जेएस खेहर ने संबंधित पक्षों के बीच अदालत के बाहर समाधान का सुझाव दिया।

7, अगस्त 2017: सुप्रीम कोर्ट ने 3 सदस्यीय पीठ का गठन किया, जो 1994 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

8, अगस्त 2017 : उत्तर प्रदेश शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विवादित स्थल से उचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद बनाई जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ऐलान चंद घंटों में, यहां पढ़ें पूरी डिटेल

11, सितंबर 2017: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि 10 दिनों के अंदर 2 अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति करें, जो विवादित स्थल की यथास्थिति की निगरानी करें।

20, नवंबर 2017: यूपी शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मंदिर का निर्माण अयोध्या में किया जा सकता है और मस्जिद का लखनऊ में।

1, दिसंबर 2017: इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती देते हुए 32 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने याचिका दायर की।

8, फरवरी 2018 : सिविल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की।

14, मार्च 2018: सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की याचिका सहित सभी अंतरिम याचिकाओं को खारिज किया।

6, अप्रैल 2018 : राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 1994 के फैसले की टिप्पणियों पर पुर्निवचार के मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेजने का आग्रह किया।
6, जुलाई 2018: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कुछ मुस्लिम समूह 1994 के फैसले की टिप्पणियों पर पुर्निवचार की मांग कर सुनवाई में विलंब करना चाहते हैं।
20, जुलाई 2018: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

27 सितंबर, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष भेजने से इनकार किया। मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को तीन सदस्यीय नयी पीठ द्वारा किए जाने की बात कही।

29, अक्टूबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई उचित पीठ के समक्ष जनवरी के पहले हफ्ते में तय की, जो सुनवाई का समय निर्णय करेगी।

12, नवंबर 2019: अखिल भारत हिंदू महासभा की याचिकाओं पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार।

4, जनवरी 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मालिकाना हक मामले में सुनवाई की तारीख तय करने के लिए उसके द्वारा गठित उपयुक्त पीठ 10 जनवरी को फैसला सुनाएगी।

8, जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 5 न्यायाधीशों की बेंच का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को सौंपी गई। इसमें जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल होंगे।

10, जनवरी 2019: जस्टिस यूयू ललित ने मामले से खुद को अलग किया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 29 जनवरी को नई पीठ के समक्ष तय की।

25, जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 5 सदस्यीय बेंच का पुनर्गठन किया। नई पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर को शामिल किया गया।

26, फरवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का सुझाव दिया और फैसले के लिए 5 मार्च की तारीख तय की, जिसमें मामले को अदालत की तरफ से नियुक्त मध्यस्थ के पास भेजा जाए या नहीं, इस पर फैसला लिया जाएगा।

8, मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए विवाद को एक समिति के पास भेज दिया, जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला बनाए गए।

9, अप्रैल 2019: निर्मोही अखाड़ा ने अयोध्या स्थल के आसपास अधिग्रहीत जमीन को मालिकों को लौटाने की केंद्र की याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया।

10 मई, 2019: मध्यस्थता प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 15 अगस्त तक समय बढ़ाया।

11 जुलाई, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने ‘मध्यस्थता की प्रोग्रेस’ पर रिपोर्ट मांगी।

18 जुलाई, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति देते हुए एक अगस्त तक फाइनल रिपोर्ट देने के लिए कहा।

 

1, अगस्त 2019: मध्यस्थता की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को दी गई।

2, अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता नाकाम होने पर 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई का फैसला किया।

6, अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना के आधार पर भूमि विवाद पर सुनवाई शुरू की।

4,अक्टूबर 2019: कोर्ट ने कहा कि 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी कर 17 नवंबर तक फैसला सुनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा।

16 अक्टूबर, 2019: उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा।