सभी विवादों को धता बताते हुए देश का सबसे बड़ा प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम पिछले सप्ताह संपन्न हो गया। यह आयोजन बहुत बड़ा होगा, इसका अनुमान तो सभी को था, लेकिन इतने विवादों में घिरेगा, इसकी कोई कल्पना नहीं कर रहा था। सनातन के चारों धर्मगुरु शंकराचार्य इस बात पर अडिग रहे कि प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन अनुकूल शुभ नक्षत्र में नहीं किया जा रहा है। शंकराचार्यों के सनातनी सुझावों को तर्कों-कुतर्कों के जरिये काटते हुए वही हुआ, जो सत्तारूढ़ दल ने तय कर रखा था। देश के लिए अच्छा बुरा जो भी हुआ, वह तो हो गया, लेकिन आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म के रक्षार्थ, सनातन के रक्षार्थ जो राय दी गई, उसे अमान्य कर दिया गया। ब्राह्मण ने अपने धर्म का नाम रखा था सनातन, यानी जो सदा से देश में चला आ रहा है।

भय का अंत होने पर बदलेगा देश का स्वरूप

यह धर्म की अच्छाई-बुराई की व्याख्या नहीं, केवल अपनी प्राचीनता को प्रकट करने वाली आस्था मात्र कहला सकती है। देश के जिन चारों दिशाओं में मठ बनाकर सबसे ऊंची पीठ पर जिन्हे  बैठाया था, उन चारों शंकराचार्यों की बात नहीं मानी गई और उनके शास्त्रीय सुझावों को अमान्य कर दिया गया। यही नहीं, उनसे कोई परामर्श लेना भी उचित नहीं समझा गया। चारों शंकराचार्यों के घोर अपमान को केवल भय के कारण समाज आज अनदेखा  कर रहा है, क्योंकि जिस दिन इस भय का अंत होगा, देश का सारा स्वरूप बदल जाएगा। भले ही अभी लोगों को यह बात अरुचिपूर्ण लगे, लेकिन इंतजार कीजिए और देखिए कुछ अवश्यंभावी बदलाव का। आग जब जलाई जाती है, तो थोड़ा-बहुत धुआं निकलता ही है, फिर कुछ समय बाद विकराल रूप धारण करके आग सब कुछ को राख के ढेर में बदल देती है।

असम में मुख्यमंत्री ने दिखाया अपना ट्रेलर

अब दूसरी तरफ नजर डालें तो कांग्रेस द्वारा ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के नाम पर जो यात्रा असम पहुंची है, वह विवादित हो गई है। असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा ने बड़े ही तल्ख लहजे में चेतावनी दी है कि यदि यह यात्रा शहर से निकलेगी, तो उस पर एफआईआर दर्ज करके तीन महीने बाद होने वाले चुनाव के बाद उन्हें जेल में डाल देंगे। फिर उन्होंने कुछ ट्रेलर भी दिखाया। ऐसा तब हुआ, जब राहुल गांधी बस से नीचे उतरकर नारेबाजी कर रही उस भीड़ से समझाना चाह रहे थे कि वे क्या चाहते हैं?

मंदिर जाने से केवल राहुल गांधी को रोका

उसके आगे बढ़ते हैं, तो नौगांव जिले में वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान जाने की अनुमति मिलने से इंकार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा कि क्या अब प्रधानमंत्री तय करेंगे कि भारत में मंदिर कौन जाएगा। कानून-व्यवस्था की स्थिति पर संभावित हंगामे का हवाला देकर सरकार ने राहुल गांधी को मंदिर जाने की अनुमति नहीं दी। राहुल गांधी ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि केवल राहुल  गांधी वहां नहीं जा सकता, जबकि बाकी सभी को श्रीमंत शंकरदेव के मंदिर में जाने की अनुमति दी जा रही है। राहुल गांधी ने कहा कि हम गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहते थे।

आलोचक कहते हैं कि कांग्रेस की न्याय यात्रा को रोकना और राहुल गांधी पर अनाप-शनाप की बातें करके असम के मुख्यमंत्री सिर्फ प्रचार पाना चाहते हैं। सच तो यह है कि असम कोई ऐसा राज्य नहीं है, जो किसी प्रकार से नेशनल मीडिया के केंद्र में रहे। उसमें भी वही हेमंत विश्व सरमा, जो पहले कांग्रेस में थे और राहुल गांधी से तथाकथित रूप से अपमानित होने के कारण भाजपा की वाशिंग मशीन में धुलकर असम के मुख्यमंत्री बन गए।

मुख्यमंत्री की पत्नी करोड़ों के घोटालों में आरोपित है

अभी हाल ही असम की एक खबर पूरे देश में चर्चा का विषय था कि मुख्यमंत्री की पत्नी करोड़ों के घोटालों में आरोपित है, लेकिन आज वह भी भाजपा वाशिंग मशीन में साफ होने के प्रयास में जुटी हैं। असम में जानबूझकर सरकार द्वारा  विशेष रूप से एफआईआर दर्ज करके खुल्लमखुल्ला यह कहना कि चुनाव के बाद हम राहुल गांधी को गिरफ्तार कर लेंगे, प्रचार पाने का हथकंडा ही माना जा रहा है। सच तो यह है कि असम के मुख्यमंत्री इन्हीं सब विवादों के कारण आज सुर्खियों में हैं।

राहुल गांधी की यात्रा 14 जनवरी से अब तक पूर्वोत्तर के मणिपुर, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश,  मेघालय और असम में रही। ये सभी राज्य या तो भाजपा शासित हैं अथवा वहां भाजपा समर्थित सरकार है, लेकिन इतने राज्यों से भारत न्याय यात्रा में कोई राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ हो अथवा किसी प्रकार की धक्कामुक्की हुई हो, ऐसी कोई भी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन न्याय यात्रा के असम पहुंचते ही मुख्यमंत्री यह दिखाने लगे हैं कि वह कुछ दूसरे तरह के मुखमंत्री हैं। इसीलिए इतना शोर-शराबा मचा है। मंदिर में दर्शन न करने देने पर राहुल गांधी ने यही तो कहा कि यह ऊपर के आदेश का पालन कर केंद्रीय सहानुभूति बरकरार रखना चाहते हैं। अभी तो यह यात्रा कुछ दिन और असम में रहेगी, देखते जाइए सत्ता के केंद्रीय दरबार दिल्ली तक अपनी कितनी पकड़ मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा बना पाने में यफल हो पाते हैं। स्वयं को ‘बॉस’ का कितने विश्वासपात्र साबित कर पाते हैं।

अच्छा हुआ प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन समय पूर्व हो गया, क्योंकि इसके जरिये भाजपा के लिए एक रोडमैप तैयार हो गया है जहां वह जनता के बीच कह सकेगी कि हमारी सरकार ने मदिर बनवाकर उसमें भगवान श्रीराम को स्थापित किया। अब वह इस दावे को ठीक तरह से समाज में भुना सकती है, लेकिन उसका प्रभाव तो धीरे-धीरे चुनाव तक कम होता जाएगा, लेकिन वहीं कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा अभी चलेगी और जैसा कि पिछली पदयात्रा के बाद हुआ था, समाज कांग्रेस के करीब आ गया था और उसका लाभ भी उसे मिला। इस बार तो उसका आक्रमण संगठित रूप से सभी विपक्षी दलों के साथ भाजपा पर करने का है।

विपक्षी दलों द्वारा जो ‘इंडिया’ गठबधन बनाया गया है, यदि उसमें वह सफल हुआ, तो फिर 1977 वाला हश्र भाजपा का होगा, जिसमें कांग्रेस के सबसे मजबूत प्रत्याशी को भी जनता पार्टी के एक साधारण नेता से पराजय का मुंह देखना पड़ा था। श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि ‘मनुष्य को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार मनुष्य से वह सब करवाता है, जो उसके लिए सही नहीं है और अंत में यह अहंकार उसके विनाश का कारण बनता है। इसलिए जीवन में जितना हो सके, अहंकार त्याग देना चाहिए।’

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)