अयोध्या में इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट फिलहाल अस्पताल का निर्माण नहीं करवाने वाला है और इसकी वजह फंड ना होना बताया जा रहा है।  2019 में राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वक्फ बोर्ड को यह जमीन दी गई थी। जिसे लेकर ट्रस्ट एक मेगा प्रोजेक्ट संभाल रहा है जिसके तहत एक मस्जिद, एक चैरिटी अस्पताल और एक सामुदायिक रसोई का निर्माण किया जाना है।

 ट्रस्ट के सदस्यों के मुताबिक ट्रस्ट ने पहले अस्पताल और बाद में एक मस्जिद बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन ट्रस्ट के पास इतना पैसा नहीं है कि यह काम आसानी से शुरू किया जा सके।

ट्रस्ट की ओर से क्या बयान सामने आया है?

ट्रस्ट के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा कि अब इस काम को धीरे-धीरे कुछ स्टेप्स में पूरा किया जाएगा। हुसैन ने कहा, “हमने फंड की कमी के रहते इस प्रोजेक्ट को फिलहाल रोक दिया है, इन मुश्किलों के बावजूद हम प्रोजेक्ट को बंद नहीं करेंगे, बल्कि बेहतर प्लान के साथ इसपर काम करेंगे।”

उन्होंने कहा,”हम मस्जिद का एक नया नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण को सौंपेंगे। मस्जिद बनाने में कम पैसे लगेंगे और इसकी व्यवस्था करना बहुत आसान होगा।” हुसैन के मुताबिक 15,000 वर्ग फीट में बनने वाली मस्जिद की लागत 8-10 करोड़ रुपये होगी। पहले मस्जिद बनाई जानी थी, लेकिन ट्रस्ट इसे बनाने के लिए आवश्यक 300 करोड़ रुपये नहीं जुटा सका।

उन्होंने कहा, “हमारी कोशिश मस्जिद से पहले अस्पताल बनाने की थी, लेकिन यह 300 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है, जिस ज़मीन पर मस्जिद बनाने का प्रस्ताव है, वहां पहले से ही कई मस्जिदें हैं, इसलिए हमने पहले एक चैरिटी अस्पताल और सामुदायिक रसोई बनाने के बारे में सोचा था।”

फाउंडेशन के मुख्य ट्रस्टी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने कहा कि ट्रस्ट के सदस्य अगले महीने से देश भर में जनता से फंड कलेक्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्लान तैयार करने के लिए जुलाई के अंत में बोर्ड की बैठक होगी। 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अपने फैसले में विवादित स्थल को मंदिर निर्माण के लिए देने का आदेश दिया था और मुसलमानों को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन दी थी।