अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा सोमवार को संपन्न हुई। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इससे संबंधित अनुष्ठान में भाग लिया। अनुष्ठान में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए। इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भी मौजूद रहे। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि दोपहर में साढ़े बारह बजे (12-29) बजे रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गयी। इस दौरान सेना के हेलीकॉप्टरों ने मंदिर परिसर पर पुष्प वर्षा की। अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर नागर शैली में बना है। आइए जानते हैं इस शैली की विशेषताएं।

भारत में मंदिर निर्माण की तीन शैलियां रही हैं, जिसमें नागर, द्रविड़ और वेसर है। नागर शैली प्रमुख रूप से उत्तर भारत में मंदिर निर्माण शैली रही है। इस शैली के मंदिर हिमालय से विंध्याचल पर्वत के बीच बनाए गए हैं। नागर शब्द की उत्पत्ति नगर से हुई है। यह मुख्य रूप से 7वीं शताब्दी की शैली रही है। नागर शैली पल्लव काल में शुरू हुई और चोल काल में इस शैली के मंदिरों का निर्माण अधिक हुआ।

नागर शैली के मंदिर की विशेषताएं

नागर शैली में मंदिर बनाते हुए कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है। नागर शैली के मंदिरों का निर्माण से बड़े चबूतरे पर किया जाता है। इसके साथ ही मंदिर में एक गर्भगृह, इसके ऊपर शिखर और शिखर के ऊपर आमलक और उसके ऊपर कलश देखने को मिलता है। मंदिर के शिखर पर एक ध्वज भी लगाया जाता है। नागर शैली के मंदिरों के गर्भगृह के आगे तीन मंडप होते हैं और इन मंडप के आगे सीढ़ियां होती हैं, जो नीचे जाकर सीधे मंदिर के चबूतरे पर खत्म होती हैं।

नागर शैली के मंदिरों का निर्माण मुख्यतः खुले स्थान पर होता है, इन मंदिरों के चारो ओर आपको कोई चहारदीवारी देखने को नहीं मिलेगी। नागर शैली में मंदिर ऊंचाई में आठ भागों में बंटा होता है। इसमें मूल(आधार), गर्भगृह मसरक, जंघा(दीवार), कपोत(कार्निस), शिखर, गल(गर्दन), कुंभ और वर्तालुकार आमलक।

क्या है राम मंदिर की खासियत?

राम मंदिर तीन मंजिला होगा। मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियाँ चढ़ेंगे। पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर 380 फीट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें 392 खंभे और 44 द्वार होंगे। मंदिर परिसर की डिज़ाइन 81 साल के चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटे 51 साल के आशीष ने मिलकर तैयार की है। मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं और देवियों के जटिल चित्रण प्रदर्शित हैं। भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बचपन के स्वरूप की मूर्ति रखी गयी है।

पूर्वी दिशा में राम मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार स्थित है। यहां सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जाएगा। मंदिर में कुल पांच मंडप हैं – नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप। आरसीसी की 14 मीटर मोटी परत मंदिर की नींव का निर्माण किया गया है। मंदिर के निर्माण में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ग्रेनाइट का उपयोग करके जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है। मंदिर परिसर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति, एक सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र और एक बिजली स्टेशन है।