मालेगांव बम विस्फोट मामले में शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने चार्जशीट दाखिल करते हुए 11 आरोपियों में से छह पर लगे आरोपों को हटाए हैं। इनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य पांच शामिल हैं। इसके साथ ही ले. कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित और अन्य दस के खिलाफ लगाए गए मकोका को भी हटा दिया गया है। लेकिन इस मामले पर गौर किया जाए तो धमाके के छह मुख्य आरोपियों को लेकर देश की दो मुख्य जांच एजेंसियां एटीएस और एनआईए की राय बिल्कुल अलग-अलग है।

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प्रज्ञा सिंह ठाकुरः-

-इस मामले में सबसे पहले साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 23 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था।

एटीएस का क्या कहना है-
मुस्लिमों से बदले के लिए मालेगांव धमाका करने के लिए 11-12अप्रैल 2008 को भोपाल में हुई बैठक में साध्वी ठाकुर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, प्रसाद पुरोहित, सुधाकर धार द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी के साथ मौजूद थीं। भोपाल में हुई बैठक में साध्वी ने विस्फोट के लिए लोग उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी ली थी। विस्फोटक पुरोहित द्वारा उपलब्ध कराए जाने थे। विस्फोट करने के लिए प्रज्ञा की बाईक एलएमएल फ्रीडम का इस्तेमाल किया गया था। प्रज्ञा ने ही पुरोहित से कहा था कि वे उनके लोगों को विस्फोटक सामग्री उपलब्ध कराएं। बाईक के अलावा एटीएस ने सुधाकर धार द्विवेदी से बरामद किया गया लैपटॉप भी दिखाया है। लैपटॉप में इंदौर और भोपाल में हुई बैठक की ऑडिया और वीडियो रिकोर्डिंग थी।

एनआईए का क्या कहना है-
विस्फोट में इस्तेमाल की गई बाइक प्रज्ञा ने ही खरीदी थी और इसका रजिस्ट्रेशन भी उसी के नाम है। लेकिन बाइक को विस्फोट से पहले रामचंद्र कलसांगरा ही चला रहा था।

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शिवनारायण कलसांगरा:-

एटीएस का क्या कहना है-
शिवनारायण कलसांगरा और साहू को विस्फोटक सामग्री से बम बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानकार बताया गया। उस पर गिरोह के अन्य साथियों की मदद करने का भी आरोप है। कलसांगरा बतौर एलआईसी एजेंट काम करता था और इलेक्ट्रिशियन भी था। उसे उसी दिन गिरफ्तार किया गया था, जिस दिन प्रज्ञा को गिरफ्तार किया गया।

एनआईए का क्या कहना है-
एटीएस के पंचनामा के मुताबाकि शिवनारायाण कलसांगरा ने बताया उसके भाई रामचंद्र ने उसे दो इलेक्ट्रॉनिक टाइमर्स अपनी सुरक्षा के लिए रखने को कहा था। कलसांगरा ने ही वह जगह दिखाई थी, जहां पर टाइमर्स छुपाए गए थे। एटीएस ने ये दो टाइमर्स इंदौर से उसके घर से बरामद किए थे। आरोपी पेशे से इलेक्ट्रिशियन है और उसके घर से बरामद हुए टाइमर्स बरामद होना कोई ऐसी सामग्री नहीं है जो कि प्रतिबंधित है। इन टाइमर्स पर किसी तरह की विशेष पहचान नहीं है। जिससे यह कहा जा सके कि ये टाइमर्स बलास्ट में इस्तेमाल किए गए थे। आरोपी के खिलाफ ऐसे सबूत नहीं है कि वह अन्य आरोपियों से मिला हुआ था।

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श्याम भंवरलाल साहूः-

एटीएस का क्या कहना है-
साहू किसी बैठक में शामिल नहीं हुआ था, लेकिन उसने प्रज्ञा और रामचंद्र कलसांगरा को मोबाइल फोन, सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे। ये कार्ड विस्फोट के लिए रजी गई साजिश के दौरान इस्तेमाल किए गए थे। साहू को भी उसी दिन गिरफ्तार किया गया था, जिस दिन प्रज्ञा को अरेस्ट किया गया।

एनआईए का क्या कहना है-
साहू के खिलाफ जिसने गवाही दी वह इंदौर में उसकी मोबाइल दुकान पर उसके साथ काम करता था। उसने कहा कि रामजी और प्रज्ञा का फोन उसकी दुकान पर ही रिचार्ज किया जाता था। रामचंद्र कलसांगरा को साहु ने पांच अलग-अलग नाम से सिम दिए थे। इसके अलावा उसके खिलाफ बलास्ट में शामिल होने के कोई सबूत नहीं है। साल 2008 में सिम कार्ड खरीदने और बेचने के लिए कोई सख्त कानून नहीं थे। रामजी और साहू अच्छे दोस्त थे।

प्रवीण टक्काल्कीः-

एटीएस का क्या कहना है-
प्रवीण टक्काल्की पर पुरोहित के नजदीकी होने का आरोप है। उसने आरोपी राकेश धावड़े से भोसला मिलिट्री स्कूल में बम बनाने की ट्रेनिंग ली थी। धावड़े ने पुरोहित के निर्देशों पर उसे ट्रेनिंग दी थी। उस पर आरोप है कि वह आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी के घर देवलाली में रुका था। एटीएस को यहीं से आरडीएक्स बरामद हुआ था। प्रज्ञा की बाइक में बम भी यहीं पर लगाया गया था।

एनआईए का क्या कहना है-
इस पर जितने भी आरोप लगाए गए हैं वह एटीएस के सामने कबूलनामे के आधारित थे। मकोका हटाए जाने के बाद इन कबूलनामों का कोई महत्व नहीं रहता।

लोकेश शर्मा और धान सिंहः-

लोकेश शर्मा और धान सिंह को एनआईए ने मालेगांव बलास्ट और समझौता विस्फोट में इनकी कथित भूमिका के लिए गिरप्तार किया था। इनके खिलाफ कभी भी महाराष्ट्र एटीएस ने चार्जशीट दाखिल नहीं की। धान सिंह की 3 जनवरी 2013 और लोकेश की 4 जनवरी 2013 को गिरफ्तारी दिखाई गई है। लोकेश पहले से अजमेर, समझौता, मक्का मस्जिद बलास्ट मामले में जेल में अंडरट्रायल पर था। एनआईए की जांच में सामने आया कि लोकेश शर्मा और धान सिंह की रामचंद्र कलसांगरा के साथ नजदीकी थी। यह वजह है कि मालेगांव में हुए दो आतंकी धमाकों में लिंक पैदा करता है।

लोकेश पर एनआईए ने क्या कहा-
लोकेश शर्मा को राजेंद्र चौधरी (समझौता और मालेगांव 2006 धमाकों के आरोपी) के खुलासे के बाद गिरफ्तार किया गया था। हिस्ट्री शीटर शर्मा मऊ सेंट्रल जेल में मई 2008 से फरवरी 2009 तक था। इसिलए इस मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं मानी जा सकती।

धान सिंह पर एनआईए ने क्या कहा-
जांच के दौरान सिंह ने एनआईए को बताया था कि 29 सितंबर 2008 को विस्फोट के दिन उसने रामजी कलसांगरा और संदीप डांगे के निर्देशों पर आईईडी लगी बाइक रमेश महालकर के घर इंदौर से सेंधवा रामचंद्र के घर पहुंचाई थी। धान सिंह के पास से बरामद किए गए फोन की जांच में उसका किसी आरोपी के साथ संबंध की बात सामने नहीं आई।