भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का आज जन्मदिन है। कहने को इस देश ने कई नेता देखे हैं, कहने को इस देश ने कई प्रधानमंत्री देखे हैं, लेकिन बात जब अटल बिहारी वाजपेयी की आती है तो एक ही शख्सियत में कई खूबियां साथ में देखने को मिल जाती हैं। एक दिलदार कवि, एक बेहतरीन वक्ता और आगे चलकर बनने वाला देश का दिग्गज और महान नेता। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने अटल विश्वास के दम पर ही भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी, संघर्ष कितने भी आए, चुनौतियां कितनी भी बड़ी क्यों ना निकलीं, उनका अटल विश्वास उन्हें आगे ले जाता रहा। आज उसी अटल विश्वस की 10 अनसुनी कहानियां बताते हैं-

पहली कहानी- जब इंदिरा की बोलती हुई बंद

अटल बिहारी वाजपेयी कितने हाजिर जवाब थे इसका बेहतरीन उदाहरण इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए देखने को मिल गया था। एक बार संसद में इंदिरा गांधी ने अटल बिहारी वाजपेयी का मजाक बनाया था, उनके भाषण शैली को लेकर सवाल खड़े कर दिए थे। देश की संसद में उन्होंने कहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी हिटलर की तरह भाषण देते हैं और लगातार अपने हाथ लहराते रहते हैं। अब कोई दूसरा नेता होता तो शायद चुप रह जाता और असहज महसूस करता, लेकिन अटल ने ऐसा जवाब दिया कि पूरी संसद हंसी से गूंज उठी और इंदिरा गांधी देखती रह गईं। अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा के सवाल पर कहा कि इंदिरा जी हाथ हिला कर तो सभी भाषण देते हैं, कभी आपने किसी को पैर हिला कर भाषण देते हुए सुना है। इंदिरा गांधी मौन हो चुकी थीं और हर कोई अटल की हाजिर जवाबी का कायल।

दूसरी कहानी- खुद से ज्यादा दूसरों की चिंता

अटल बिहारी वाजपेयी काफी सादगी भरा जीवन जीना पसंद करते थे। इसका एक उदाहरण सितंबर 1992 में देखने को मिल गया था। यह बात उस समय की है जब जम्मू के पास अखनूर में चेनाब नदी में बाढ़ आ गई थी। वो बाढ़ इतनी तेज थी कि एक नदी का पुल भी उसके साथ बह गया। तब अटल बिहारी वाजपेयी उसे क्षेत्र का दौरा करने गए थे। उस समय मोटर बोट के जरिए लोगों को एक छोर से दूसरे छोर पर लेकर जाया जा रहा था। अब अटल बिहारी वाजपेयी के साथ तो बीजेपी के दूसरे नेता भी मौजूद थे, ऐसे में जैसे ही एक मोटर बोट में अपने दूसरे साथियों के साथ में वे बैठे, सेना ने बोल दिया कि एक बार में चार ही जने जा पाएंगे। अब अटल चाहते तो आसानी से किसी भी छोटे नेता को बोट से उतरने के लिए कह सकते थे, लेकिन उन्होंने जोर देकर बोला पहले इनको पार लगाओ फिर मुझे लेकर जाना।

तीसरी कहानी- जब होली से मना ली थी दूरी

अटल बिहारी वाजपेयी काफी संवेदनशील नेताओं में भी गिने जाते थे। यह बात तो सभी जानते थे कि उन्हें होली का पर्व काफी पसंद था, रंगों से उनका गहरा नाता था। लेकिन 2002 में जब गुजरात के भुज में भूकंप आया, उस तबाही को देख अटल कही टूट गए थे, विचलित थे। बताया जाता है तब अटल नैनीताल के राज भवन चले गए थे, वहां उन्होंने एक दिन भी होली नहीं खेली, बस कुछ कविताएं लिखीं और गुमसुम से बैठे रहते थे।

चौथी कहानी- अटल ने पिता के साथ की कॉलेज पढ़ाई

राजनीतिक किस्से तो अटल बिहारी वाजपेयी को लोकप्रिय बनते ही हैं, लेकिन उनका बचपन का भी एक ऐसा किस्सा है जो काफी हैरान करने वाला लगता है। यह बात उस समय की है जब अटल लॉ की पढ़ाई कर रहे थे। कानपुर के डीएवी कॉलेज में अगर अटल मन लगाकर कानून की पढ़ाई कर रहे थे, उनकी साइड वाली बेंच पर उन्हीं के पिता भी बैठा करते थे। जी हां पिता-पुत्र ने साथ में लॉ की पढ़ाई की थी, दोनों एक ही हॉस्टल में रहा भी करते थे।

पांचवीं कहानी- मनमोहन ने बताया राजनीति का भीष्म पितामाह

अटल बिहारी वाजपेयी को चाहने वाले उन्हें कई नाम से बुलाया करते थे। लेकिन एक नाम ऐसा था जो सिर्फ उनके करीबी ही इस्तेमाल किया करते थे। उनके करीबी दोस्त उन्हें हमेशा बाप जी कहकर संबोधित करते थे। देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तो उन्हें भारत की राजनीति का भीष्म पितामह करार दिया था।

छठी कहानी- जब चुनावी टिकट में फंस गए थे अटल

अटल से जुड़ा एक बेहतरीन किस्सा पूर्व पार्षद गोविंद पांडे ने भी बताया था। असल में कैंट क्षेत्र से विधायक रहे सुरेश तिवारी चुनाव लड़ने की लालसा रख रहे थे। ऐसे में उन्होंने अपने पिता श्री निवास तिवारी को अटल जी से मिलने के लिए बोल दिया। अब श्रीनिवास संघ के पुराने कार्यकर्ता थे और वाजपेयी के साथ उनके संबंध काफी । ऐसे में श्रीनिवास जब अटल से मिले, उन्होंने उनके सामने हाथ जोड़ा और बोला आज तक मैंने अपने जीवन में कभी कुछ नहीं मांगा है। असल में वे अपनी बात करने से हिचक रहे थे, ऐसे में अटल जी ने अपने ही अंदाज में उनके दोनों हाथों को पकड़ा और बोला कि जब आज तक कुछ नहीं मांगा तो आगे भी मत मांगिएगा। अटल बिहारी वाजपेयी को पता चल चुका था कि सुरेश तिवारी चुनाव लड़ना चाहते हैं, ऐसे में उन्होंने सिर्फ इतना कहा- जाइए आपका काम हो जाएगा। बाद में सुरेश तिवारी को चुनावी टिकट मिल गया था।

सातवीं कहानी- नेहरू और अटल की बहस

अटल बिहारी वाजपेयी की पंडित नेहरू के साथ भी काफी दिलचस्प केमिस्ट्री थी। यह बात 1957 की है जब पहली बार अटल देश की संसद में पहुंचे थे। अपनी अच्छी हिंदी की वजह से उन्होंने बहुत जल्द एक अलग ही पहचान बना ली थी। नेहरू भी उनकी हिंदी को काफी पसंद किया करते थे, लेकिन एक बार संसद में जब नेहरू ने जनसंघ की आलोचना कर दी, अटल ने चुटीला जवाब देते हुए कहा कि मैं जानता हूं पंडित जी रोज शीर्षासन करते हैं। इस बात से मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मेरी पार्टी की तस्वीर उल्टी ना देखें। अब ऐसे जवाब की उम्मीद उस जमाने में पंडित नेहरू ने अटल बिहारी वाजपेयी से नहीं की थी, लेकिन वे भी मुस्कुराए और बात खत्म हो गई।

आठवीं कहानी- जब वीपी सिंह को बताया दूल्हा

वैसे राजनीति में मुश्किल दौर में भी सहजता दिखाना आसान नहीं होता, लेकिन इस काम में अटल बिहारी वाजपेयी को महारत हासिल थी। यह बात 1984 की है जब इंदिरा गांधी की मौत के बाद कांग्रेस को ऐतिहासिक 401 सीटों का जनादेश मिला था। उसे समय लाल कृष्ण आडवाणी ने तो कह दिया था कि यह लोकसभा नहीं शोक सभा के चुनाव थे। लेकिन कांग्रेस का इतना मजबूत होना बीजेपी को परेशान कर रहा था। ऐसे में फैसला हुआ कि गठबंधन की राजनीति को आगे बढ़ाया जाएगा। वीपी सिंह से बात हुई, काफी मनाने के बाद वे राजी भी हो गए। लेकिन तब एक पत्रकार ने चुनाव के समय अटल से पूछ लिया था अगर इस चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी तो पीएम उम्मीदवार क्या वे खुद होंगे। उस सवाल पर मुस्कुराते हुए वाजपेयी ने कहा था कि इस बारात के दूल्हा तो वीपी सिंह हैं।

नौवीं कहानी- ममना को मनाने के लिए थे वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी की एक खासियत और थी। वे सभी नेताओं को मनाने की कला जानते थे। आज के समय में जिन ममता बनर्जी को हम इतना आक्रमक देखते हैं, उस जमाने में भी उनका गुस्सा सातवें आसमान पर ही रहता था। ऐसे ही किस्सा वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय ने कई मौकों पर बताया है। असल में जब ममता रेल मंत्री थीं और देश में बीजेपी की सरकार थी, उनकी तरफ से हर दूसरे दिन विरोध किया जाता था। किसी भी बातचीत से नाराज हो जातीं। इससे अटल बिहारी वाजपेयी भी काफी तंग हो चुके थे, ऐसे में उन्होंने अपने सबसे भरोसेमंद जॉर्ज फर्नांडिस को ममता के पास भेजा था, लेकिन ममता बनर्जी ने मिलने से साफ मना कर दिया। ऐसे में एक दिन बिना बताए वाजपेयी खुद ही ममता के घर पहुंच गए वहां ममता तो नहीं मिली लेकिन उनकी मां से मुलाकात जरूर हो गई। बताया जाता है तब अटल बिहारी वाजपेयी ने ममता बनर्जी के मां के पैर छुए और हंसते हुए बोला आपकी बेटी बहुत शरारती है बहुत तंग करती है। ऐसा माना जाता है वाजपेयी का वह अंदाज ममता की गुस्से को एकदम शांत कर गया था।

10 वीं कहानी- विमान में हुआ सियासी ड्रामा

1993 के एक और किस्सा काफी चर्चा में रहा है। तब हिमाचल प्रदेश के चुनाव चल रहे थे, कानपुर के जेके सिंघानिया कंपनी के एक छोटे से विमान में वाजपेयी ने सफर किया।। उनके साथ भाजपा नेता बलबीर पुंज भी सफर कर रहे थे। पहुंचना धर्मशाला था लेकिन पायलट रास्ता भटक गए। उस समय तो तुरंत पायलट ने पुंज को सब कुछ विस्तार से समझाया था। तब पुंज ने बस इतना बोला कि इस विमान को चीन लेकर मत चले जाना। इतने में अटल जी की आंख खुली और उन्हें पूरा वाक्य पता चला। हमेशा की तरह अटल बिहारी वाजपेयी ने हल्के अंदाज में बोल दिया यह तो बहुत ही बढ़िया रहेगा, खबर छप जाएगी वाजपेयी डेड गन कैरिज में जाएंगे ।