Atal Bihari Vajpayee: वाजपेयी जी की सबसे लोकप्रियता के प्रमुख वजहों में से एक था, उनका बेजोड़ वक्ता होना। भाषण तो अच्छा वो देते ही थे, उनकी शैली भी बेजोड़ थी। भाषण, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वाक्यों के बीच में ठहराव, शब्दों को अधूरा छोड़ पत्रकारों, नेताओं को उसका अर्थ निकालने के लिए विवश कर देना। ‘अच्छी बात नहीं है’ जैसे तकियाकलाम का इस्तेमाल। जैसी कई खूबियां थीं जो वाजपेयी की भाषण शैली को खास बना देती थी।
लाल कृष्ण आडवाणी और वाजपेयी ‘कॉमरेड इन आर्म्स’ रहे। बीजेपी को शून्य से शिखर पर पहुंचाने में दोनों ने जीवन होम कर दिया। 90 के दशक में जब आडवाणी ने रथ यात्रा की घोषणा कर भारत की सियासत में आने वाले बदलाव का संकेत दे दिया। वो राम मंदिर आंदोलन का दौर था। देश में तनाव देखने को मिल रहा था। आडवाणी ने घोषणा की कि वे 25 सितंबर 1990 से रथ यात्रा पर निकलेंगे। ये रथ यात्रा गुजरात के सोमनाथ मंदिर से निकलने वाली थी और उत्तर प्रदेश अयोध्या तक जाने वाली थी। वाजपेयी इस रथ यात्रा के साथ जुड़े रिस्क को समझते थे। उन्होंने अपने दाहिने हाथ आडवाणी को इशारों-इशारों में बड़ी बात कह डाली। एनबीटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक वाजपेयी ने आडवाणी से कहा, ‘ध्यान रखें कि आप अयोध्या जा रहे हैं, लंका नहीं।’ तत्कालीन राजनीतिक माहौल में वाजपेयी के इस कथन का क्या महत्व था इसके बारे में उस दौर की सियासत को समझने वाले लोग ही बता सकते हैं।
Atal Bihari Vajpayee Funeral Live Updates
अटल-आडवाणी की जोड़ी भारतीय राजनीति में लगभग छह दशकों तक प्रासंगिक बनी रही। अटल बिहारी वाजपेयी के गुजरने के बाद आडवाणी बेहद निराश नजर आए। वाजपेयी को दी गई श्रद्धांजलि में उन्होंने कहा, “मेरे पास अपने दुख और संवेदना को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं, वे भारत के सबसे बड़े राजनेताओं में से थे…मेरे लिए वाजपेयी जी सिर्फ वरिष्ठ साथी नहीं थे, बल्कि वे 65 सालों तक मेरे सबसे नजदीकी मित्र थे।”