MNS Chief Raj Thackeray: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को कहा कि राज्य में राजनीति बदल गई है। इस दौरान उन्होंने राजनेताओं के बयानों को दिखाने के लिए न्यूज चैनलों को दोषी ठहराया। राज ठाकरे पिंपरी-चिंचवड़ के एडिटर्स गिल्ड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। पिंपरी-चिंचवड़ के प्राधिकरण क्षेत्र में गा डि मडगुलकर सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में ठाकरे ने कहा, “राजनीति का स्तर और भाषा बदल गई है…आप लोग उन्हें (राजनेताओं को) दिखा रहे हैं…और यही कारण है कि वे जो चाहते हैं वही बोलते हैं।”
ठाकरे ने कहा कि वह पत्रकारों पर हमला करने के खिलाफ कानून का समर्थन करते हैं, लेकिन पत्रकारों को अपने भीतर भी देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को साहस की पत्रकारिता करनी चाहिए और किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए। मनसे चीफ ने कहा कि अजित पवार ने जिस तरह बीजेपी से हाथ मिलाया, उसके बारे में किसी ने नहीं पूछा। राज ठाकरे ने कहा कि किसी ने उनसे यह नहीं पूछा कि वह किस तरह की राजनीति कर रहे हैं।
मनसे प्रमुख ने कहा कि लोग वोट न मिलने को लेकर उन पर ताने कसते हैं। वे कहते हैं कि आपकी रैलियों में भारी भीड़ आती है, लेकिन आपकी पार्टी को वोट नहीं मिलता, लेकिन वे भूल जाते हैं कि 2009 में हमारे पास 13 विधायक थे। लोकसभा चुनाव में हमारे उम्मीदवारों को 1 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं।
राज ठाकरे ने कहा कि शुरुआती दौर में बीजेपी के पास भी दो सांसद थे। अटल बिहारी वाजपेई और बाल ठाकरे भी भारी भीड़ खींचते थे, लेकिन वोट नहीं मिलते थे। उस समय कांग्रेस ही विकल्प थी। इसी तरह, हर कोई कुछ समय के लिए शासन करता है। उन्होंने कहा कि जिस दिन आपको सत्ता मिलती है, उसी दिन यह आपके हाथ से फिसल जाती है।
ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र में पत्रकारिता जीवित है, लेकिन उन्होंने दूसरों के लिए काम करने वाले पत्रकारों की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि कई पत्रकार एक ख़त्म हो चुकी ताकत बन गए हैं। कुछ लोग मंत्रियों के लिए काम कर रहे हैं। पहले, वे गुप्त रूप से ऐसा कर रहे थे, अब वे खुलेआम ऐसा कर रहे है।
ठाकरे ने पत्रकारों को ट्रोल्स पर ध्यान न देने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि जितने लोगों के हाथ में मोबाइल है, उन्होंने खुद के विचार रखने शुरू कर दिये हैं। उन्हें किसी घटना या बयान की पृष्ठभूमि के बारे में कोई जानकारी नहीं होती, फिर भी वे अपनी बात व्यक्त कर देते हैं। राजनीतिक दलों ने लोगों की भर्ती की है। आपको ऐसे लोगों को जवाब क्यों देना चाहिए?