हालांकि, नतीजे दोनों ही पार्टियों के लिए उत्साहजनक नहीं रहे। दोनों महज 14 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाईं। वाममोर्चा के हिस्से 11 सीटें आई हैं, जो त्रिपुरा के शाही राजघराने के प्रद्योत मनिक देबबर्मा की पार्टी टिपरा मोथा भी कम है। पहली बार चुनाव लड़ रही टिपरा मोथा ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की है। साल 2018 में भाजपा ने 36 सीटें जीत कर पहली बार आइपीएफटी के साथ गठबंधन में सरकार बनाई थी। इस बार भाजपा को चार सीटों का नुकसान हुआ है और पार्टी ने 32 सीटें जीती हैं।

भाजपा ने पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए नार्थ-ईस्ट डेवलपमेंट अलायंस यानी नेडा का गठन किया है। इसके संयोजक असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा हैं। साल 2015 में इसका गठन किया गया और इसका मकसद था कि भाजपा पूर्वोत्तर राज्यों में उन क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाए जो कांग्रेस से खुश नहीं हैं। वर्ष 2016 में भाजपा ने 15 साल से चले आ रहे कांग्रेस के शासन को असम में खत्म करके अपनी सरकार बनाई।

जानकारों की राय में नेडा का गठन बताता है कि भाजपा के लिए पूर्वोत्तर राज्य कितने अहम रहे हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों की आबादी में आदिवासियों की बहुलता है और ईसाई अल्पसंख्यकों की तादाद यहां ज्यादा है। भाजपा के स्थानीय मुद्दे को भुना लेने के हुनर से सफलता मिल रही है।

त्रिपुरा में देब बर्मन ने टिपरा मोथा पार्टी बनाई और त्रिपुरा जनजाति के लिए अलग राज्य ग्रेटर त्रिपुरालैंड की बात की। इससे वहां की 70 फीसद बांग्लाभाषी आबादी असहज हो गई और उनके भाजपा ने अपने पक्ष में कर लिया। वामो को लग रहा था कि बांग्लाभाषी उनके साथ हैं। जनजातीय समुदाय के जितेंद्र चौधरी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया गया, लेकिन इस चक्कर में उनके बांग्ला भाषी वोट खिसक गए।

दूसरी ओर, भाजपा का त्रिपुरा में गठबंधन आइपीएफटी के साथ है, जो साल 2018 में त्रिपुरालैंड बनाने पर जोर देती थी। गठबंधन के बाद इस पार्टी ने अलग राज्य की मांग छोड़ दी।

टिपरा मोथा बनाने वाले प्रद्योत देब बर्मन की शुरुआत कांग्रेस युवा मोर्चा से हुई। वह त्रिपुरा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2019 में कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने टिपरा मोथा का गठन किया। शुरू में यह गैर राजनीतिक संगठन था। लेकिन 2021 में स्थानीय चुनाव में ताल ठोककर प्रद्योत बिक्रम के संगठन ने राजनीतिक पारी की शुरूआत की। कांग्रेस से अलग होने के बाद प्रद्योत ने ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग रखी।

चुनाव नतीजे आने के बाद देब बर्मन ने गठबंधन छोड़ने के संकेत दिए हैं। भाजपा ने कहा है कि ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के अलावा उनकी हर बात मानने को पार्टी तैयार है। संकेत हैं कि भाजपा अगर आदिवासी लोगों के लिए विशेष काम की घोषणाएं कर दे तो बात बन जाएगी।