महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सभी पार्टियां और गठबंधन सीट बंटवारे और प्रत्याशियों के ऐलान में जुट गए हैं। विपक्षी खेमे में विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 15 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनावों को लेकर तनाव और नाराज़गी भी है।
एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ खींचातनी के बीच कांग्रेस ने नौ सीटों में से किसी पर भी उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। हरियाणा और जम्मू -कश्मीर में अपने खराब प्रदर्शन से क्षुब्ध कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में भी झटका लगा है , जहां उसकी सहयोगी माकपा ने छह उपचुनाव सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है क्योंकि वह कांग्रेस से बातचीत शुरू करने का इंतजार करते-करते थक गई।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने उपचुनावों के दौरान कुछ जमीनी काम भी किया था और उपचुनाव वाली 10 सीटों में से 5 के लिए सौदेबाजी शुरू कर दी थी (आखिरकार, चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा नहीं की)। कांग्रेस नेताओं को उम्मीद थी कि सपा पार्टी को कम से कम तीन सीटें देगी लेकिन समाजवादी पार्टी ने उसे केवल दो सीटें दीं – खैर और गाजियाबाद। पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा ने ये दोनों सीटें जीती थीं।
यूपी में कोई कैंडीडेट नहीं उतारेगी कांग्रेस
सपा के पीछे हटने से इनकार करने के बाद, कांग्रेस ने प्रस्ताव स्वीकार न करने का फैसला किया। पार्टी ने यह तर्क दिया कि समय की मांग भाजपा को हराना है और वह सभी सीटों पर बिना किसी शर्त के सपा को समर्थन दे रही है। लेकिन वास्तविकता यह थी कि हरियाणा के नतीजों के बाद उसके पास सौदेबाजी का बहुत कम स्कोप था। सपा ने इस बात को लेकर भी कांग्रेस के खिलाफ नाराजगी जताई, क्योंकि कांग्रेस ने हरियाणा और पहले मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे के लिए उसकी मांगों को नजरअंदाज कर दिया था।
पश्चिम बंगाल में भी नहीं चल रहा सब कुछ ठीक
पश्चिम बंगाल में वाम-कांग्रेस गठबंधन टूट गया है। वाम मोर्चे ने कांग्रेस से सलाह किए बिना ही छह उपचुनाव सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। वाम और कांग्रेस ने हाल ही में गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ा था। कोई विकल्प न होने के कारण कांग्रेस ने मंगलवार को छह सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। जिन छह सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से पांच तृणमूल कांग्रेस के पास हैं, जो आरजी कर बलात्कार और हत्या, मामले से निपटने और उसके बाद हुए आंदोलन को लेकर काफी राजनीतिक दबाव में है। इस सबके बीच विपक्षी खेमा अब बंटा हुआ है।
केरल में भी उपचुनावों के कारण कुछ उथल-पुथल मची हुई है और कांग्रेस से कई बड़े नेता अलग हो गए हैं। पलक्कड़ विधानसभा उपचुनाव के लिए युवा कांग्रेस प्रमुख राहुल ममकूटथिल को उम्मीदवार बनाने के फैसले के विरोध में पार्टी के सोशल मीडिया प्रमुख पी सरीन ने पार्टी छोड़ दी। सरीन अब पलक्कड़ में वाम समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार हैं।