Assembly Election 2019:  कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से भी लगभग दूरी बना ली हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के प्रचार से दूर होने के पीछे उनकी बीमारी को बड़ा कारण बताया जा रहा है। 2019 लोकसभा चुनाव में भी वह स्वास्थ्य कारणों से चुनाव के प्रचार में नहीं उतरी थीं। दरअसल, वह शुक्रवार को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में एक रैली को संबोधित करने वाली थीं। लेकिन, स्वास्थ्य कारणों से वह विधानसभा चुनाव के किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पा रही हैं। सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार जिम्मा संभाला है। शुक्रवार को कांग्रेस की हरियाणा इकाई के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के मार्फत बताया गया कि सोनिया गाधी को ”जरूरी कारणों” के चलते सार्वजनिक बैठक रद्द करनी पड़ी।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में चल रहे चुनाव अभियान से गांधी परिवार ज्यादा सक्रिय नहीं दिखाई दे रहा है। फिलहाल राहुल गांधी ही दोनों राज्यों में चुनिंदा रैलियों प्रचार करते दिखाई दे रही हैं। जबकि सोनिया के अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा भी मैदान में दिखाई नहीं दे रही हैं। सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों में से किसी ने भी दोनों राज्यों में किसी भी रैली को संबोधित नहीं किया। दोनों राज्यों के लिए मतदान 21 अक्टूबर को होना है और मतगणना 24 अक्टूबर को होगी। अभियान अवधि में केवल एक दिन और शेष रहता है जो शनिवार शाम को आधिकारिक रूप से समाप्त हो जाएगा।

हरियाणा में जनता को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में न्यूनतम आय समर्थन योजना के आपने वादे का जिक्र किया और कहा कि अगर इसे लागू किया जाता, तो अर्थव्यवस्था को गति मिलती और बेरोजगारी खत्म होती। उन्होंने भाजपा पर हिंदू और मुस्लिम, जाट और गैर-जाट लोगों को विभाजित करने का भी आरोप लगाया।

गौरतलब है कि हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय नेतृत्व की सक्रियता बेहद मामूली है। हरियाणा में तो चर्चाआम है कि कांग्रेस ने कहीं पहले ही हथियार तो नहीं डाल दिए हैं। उधर, शुक्रवार को पीएम मोदी ने हिसार में अपनी एक रैली में कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि हरियाणा ने एक वीडियो देखा कि कैसे कांग्रेस नेता संसद के बाहर सीटें गिन रहे थे और राज्य में उनकी निराशाजनक संभावनाओं के बारे में तर्क दे रहे थे। 2014 में राज्य की 37 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार हार गए, लेकिन पार्टी ने इस बार इन सीटों पर कोई खास प्रयास नहीं किया।