असम पुलिस को नहीं लगता था कि उसके सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने बेतुकी बयानबाजी करके कोई अपराध किया। लिहाजा पुलिस ने कांग्रेस सांसद की शिकायत पर गौर करने से भी इ्कार कर दिया। लेकिन अदालत में मामला पहुंचा तो सीएम फंस गए। फिलहाल भड़काऊ भाषण के मामले में असम की एक कोर्ट ने हेमंत के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक गुवाहाटी की एक अदालत ने पुलिस को कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक की शिकायत के आधार पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। शिकायत में सरमा पर एक बेदखली अभियान के दौरान भड़काऊ टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया है। खालिक के वकील शमीम अहमद बरभुयां ने बताया कि सरमा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से दिसपुर थाने के इनकार के बाद कांग्रेस सांसद खालिक ने अदालत का रुख किया था।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि पुलिस को नहीं पता कि उसे क्या करना है। वो अपने कर्तव्य का पालन करने में नाकाम रही। लेकिन कानून सभी के लिए बराबर होता है। अपराध किसने किया इसे देखने के बजाए पुलिस को देखना था कि अपराध क्या था। उसे किसी से प्रभावित हुए बगैर अपना काम करना था। कोर्ट का कहना था कि ऐसा किया नहीं गया। बिस्वदीप बरुआ की अदालत ने दिसपुर थाने को सांसद की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।
सांसद ने अपनी शिकायत में कहा था कि सरमा ने सितंबर में गोरुखुटी में हुए बेदखली अभियान को जायज ठहराते हुए मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने 29 दिसंबर को दिसपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ। शिकायत में कहा गया है कि दरांग जिले के गोरुखुटी में चलाया गया अभियान साल 1983 में असम आंदोलन के दौरान हुईं घटनाओं का बदला था। ध्यान रहे कि उस दौरान हुए विवाद में कुछ युवकों की मौत भी हुई थी।