असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर स्थिति तनावपूर्ण है। शनिवार (09 फरवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के खिलाफ राजनीतिक संगठन प्रदर्शन करने वाले हैं। इस दौरान पूरे राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले फूंकने और काले झंडे दिखाने का ऐलान किया गया है। किसान मुक्ति संघर्ष समिति ने मोदी की रैली में उन्हें काले झंडे दिखाने की घोषणा की है। वहीं, असम में स्थिति को देखते हुए पहले ही बेमियादी निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। गुवाहाटी समेत कई क्षेत्रों में प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई निषेधाज्ञा का उल्लंघन करेंगे और गिरफ्तारियां दे सकते हैं। उन्होंने इस बात का ऐलान शुक्रवार को ही कर दिया था। गोगोई की मांग है कि केंद्र सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को हर हाल में वापस ले।

शुक्रवार को गोगोई ने कहा कि अगर राज्य में प्रदर्शन और हंगामा जारी रहा तो युवा बगावत कर सकते हैं। उनका मानना है कि इस विधेयक से ना सिर्फ असम बल्कि पूरे देश की एकता और संस्कृति प्रभावित होगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि बीजेपी निरंकुश तरीके से सरकार चला रही है। उसने विधेयक लाने से पहले पक्षकारों से बात करने की कोशिश नहीं की। यहां तक की प्रदर्शन शुरू होने के बावजूद भी बातचीत के लिए सरकार ने पहल नहीं की। गौरतलब है कि विधेयक के खिलाफ रोजाना हो रहे प्रदर्शनों को देखते हुए गुवाहाटी पुलिस ने गुरुवार को धारा 144 लागू कर प्रदर्शन पर रोक लगा रखी है।

दरअसल, नागरिकता (संशोधन) विधयेक के तहत नागरिता अधिनियम 1955 में संशोधन किया जाएगा और अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को भारत में 6 साल रहने के बाद नागरिकता दे दी जाएगी। हालांकि, असम समेत कई राज्यों में संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे उनकी सांस्कृतिक पहचान को खतरा होगा।