Assam Encounter: असम पुलिस ने बुधवार सुबह हमार उग्रवादी (Hmar Militants) होने के आरोप में तीन लोगों को मार मुठभेड़ में मार गिराया था। अब इन तीन लोगों के परिवारों ने उनकी मौत की परिस्थितियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक वीडियो का हवाला दिया है जिसमें कथित तौर पर उन्हें एक दिन पहले एक ऑटोरिक्शा से पकड़ा गया था।

बुधवार को सोशल मीडिया पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने लिखा, “सुबह-सुबह एक ऑपरेशन में कछार पुलिस ने असम और पड़ोसी मणिपुर के तीन हमार उग्रवादियों को मार गिराया। पुलिस ने दो एके राइफल, एक अन्य राइफल और एक पिस्तौल भी बरामद की।”

कछार मणिपुर के जिरीबाम जिले की सीमा पर है, जो पिछले महीने से ही उबल रहा है। हमार समुदाय कुकी-ज़ो जातीय समूह का हिस्सा है, जो राज्य में मैतेई लोगों के साथ संघर्ष में है। कछार में हमार आबादी भी है और जिरीबाम से विस्थापित हुए हमारों सहित बड़ी संख्या में कुकी, ज़ो लोग वर्तमान में कछार में शरण लिए हुए हैं।

बुधवार को सामने आए 1 मिनट 18 सेकंड के वीडियो में पुलिस द्वारा ऑटोरिक्शा से इन लोगों को पकड़ा गया है। तीन लोगों – जोशुआ, मणिपुर के फ़ेरज़ावल जिले के सेनवोन गांव का निवासी; और लल्लुंगावी हमार और लालबीक्कुंग हमार, दोनों कछार जिले के के बेथेल गांव के निवासी को पुलिस द्वारा ऑटोरिक्शा से बाहर निकालते हुए देखा जा सकता है।

सबसे पहले बाहर निकलने वाले व्यक्ति, जिसकी पहचान रिश्तेदारों ने लल्लुंगावी के रूप में की है, उसको सीट पर एक भूरे रंग का बैग छोड़ते हुए देखा जा सकता है। उसके बाद बाकी लोग बाहर निकलते हैं, और पुलिस द्वारा उनकी जांच की जाती है। फिर एक पुलिस कर्मी बैग लेकर चला जाता है। इससे पहले कि दूसरा कर्मी उसे खोलता है और उसमें से तलाशी लेता है। वह चिल्लाने लगता है कि उसमें एक पिस्तौल है, लेकिन वह हथियार नहीं निकालता।

घटना पर कछार पुलिस द्वारा दिए गए बयान के अनुसार, इन लोगों को 16 जुलाई को ऑटोरिक्शा से पकड़ा गया था और पुलिस ने उनके पास से एक एके-47 राइफल, एक सिंगल बैरल राइफल और एक पिस्तौल के साथ गोला-बारूद भी जब्त किया था।

पुलिस ने दावा किया कि उनसे पूछताछ की गई और इससे पता चला कि उनके आतंकवादी अभी भी असम-मणिपुर सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारी मात्रा में हथियारों के साथ भुबन हिल्स के आसपास शरण लिए हुए हैं।

पुलिस के अनुसार, बुधवार को उन्होंने उस इलाके में एक विशेष अभियान चलाया, जिसके दौरान वे पहाड़ियों में छिपे संदिग्ध आतंकवादियों की गोलीबारी की चपेट में आ गए, जिसका उन्होंने जवाब दिया। पुलिस ने कहा कि वे तीनों लोगों को अपने साथ घटनास्थल पर ले गए थे, और उन्हें बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट दिए थे, लेकिन इस गोलीबारी में उनकी मौत हो गई। उन्होंने आगे कहा कि पुलिस पर गोली चलाने वाले “संदिग्ध आतंकवादी” भागने में सफल रहे।

पीड़ित परिवारों ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि पुरुष कछार में क्यों थे। फेरज़ावल में जोशुआ के परिवार ने कहा कि पड़ोसी जिरीबाम में हिंसा भड़कने के बाद उसे “ग्राम स्वयंसेवक” बनने के लिए बुलाए जाने के बाद से वह 10 जून से घर से दूर था।

रामह्लुनकिम ने कहा (जो परिवार के साथ उनके गांव के पादरी थे), ‘ उनके साथ जो हुआ वह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। हम देख सकते हैं कि वे एक ऑटोरिक्शा में थे और उन्होंने पुलिस का बिल्कुल भी विरोध नहीं किया। हम वीडियो में उनके पास कोई हथियार नहीं देख सकते। पुलिसकर्मी कहता है कि बंदूक है, लेकिन वह उसे दिखाता नहीं है। वह (जोशुआ) कोई उग्रवादी नहीं है। वह सिर्फ़ एक झूम किसान है जिसे हमारे सर्वोच्च आदिवासी निकाय ने गांव का स्वयंसेवक बनने के लिए बुलाया था।’

ललुंगावी हमार के चाचा लालशुंग ने बताया कि दोनों लोग मंगलवार को कछार स्थित अपने गांव से यह कहकर निकले थे कि वे मिजोरम घूमने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते थे।

उन्होंने कहा, “वीडियो में वे सादे कपड़े पहने हुए हैं। कोई हथियार नहीं दिख रहा है। पुलिस ने जो घटनाक्रम बताया है, उसमें कुछ बहुत गड़बड़ है। हमें लगता है कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी और पुलिस ने कानून तोड़ा है। हमने शवगृह से शव नहीं उठाए हैं और जब तक न्याय नहीं मिल जाता, हम उन्हें नहीं उठाएंगे।”

इंडियन एक्सप्रेस ने कछार के पुलिस अधीक्षक नुमल महत्ता को परिवारों द्वारा किए गए दावों के बारे में कुछ सवाल पूछे हैं। उन्होंने सवालों का जवाब नहीं दिया और पुलिस द्वारा जारी बयान की ओर इशारा किया। इस बीच नागरिक समाज संगठनों ने उनकी मौत की परिस्थितियों की जांच की मांग की है। जिरीबाम और फेरज़ावल में हमार समुदाय के लिए सर्वोच्च निकाय, स्वदेशी जनजाति वकालत समिति ने इस घटना को “मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन और असम पुलिस बल द्वारा अधिकार का खतरनाक दुरुपयोग” कहा है। इसने मांग की कि केंद्रीय जांच एजेंसियां ​​घटना की स्वतंत्र जांच शुरू करें।

चुराचांदपुर स्थित कुकी-जो संगठन, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने मांग की है कि असम सरकार एक “निष्पक्ष जांच” करे और उम्मीद जताई कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इन मौतों का स्वतः संज्ञान लेगा।