कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा (Pawan Khera) को दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। यह गिरफ्तारी तब हुई जब पवन खेड़ा कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए रायपुर जा रहे थे। यह गिरफ्तारी जिग्नेश मेवाणी की गिरफ्तारी की याद दिलाती हैं, जिन्हें अप्रैल 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
असम के दीमा हसाओ के हाफलोंग पुलिस स्टेशन में खेड़ा के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के एक दिन बाद असम पुलिस की एक टीम ने उनको हिरासत में लिया। असम पुलिस (Assam Police) ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे खेड़ा को आगे की पूछताछ के लिए लाएंगे। खेड़ा की तरह, मेवाणी के खिलाफ भी मामला था। कोकराझार में एक स्थानीय भाजपा नेता द्वारा जिग्नेश मेवाणी के अकाउंट से एक ट्वीट के संबंध में शिकायत की गई थी जिसमें कथित तौर पर कहा गया था कि मोदी “गोडसे को भगवान मानते हैं”।
एक स्थानीय अदालत ने मेवाणी को तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था, जिसके अंत में अदालत ने उन्हें एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजते हुए अगले दिन के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जबकि असम पुलिस ने 10 दिनों की हिरासत की मांग की थी। मेवाणी के वकीलों ने तर्क दिया था कि विधायक के खिलाफ आरोपों के लिए प्रथम दृष्टया कोई सबूत नहीं था और पूरा मामला मनगढ़ंत था।
असम पुलिस ने जिग्नेश मेवाणी को गुजरात से गिरफ्तार किया था और गुवाहाटी ले गई थी। हालांकि जिग्नेश को 25 अप्रैल को जमानत दे दी गई थी, लेकिन पड़ोसी जिले बारपेटा में दायर एक शिकायत के आधार पर जिग्नेश को एक नए मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था। एक महिला इंस्पेक्टर ने कहा था कि मेवाणी ने उनके खिलाफ “अपमानजनक शब्दों” का इस्तेमाल किया, उनके साथ मारपीट की और अनुचित तरीके से छूकर मेरी मर्यादा भंग की। पुलिस उन्हें गुवाहाटी से कोकराझार के लिए एक सरकारी वाहन में ला रही थी।
अंत में बारपेटा जिला और सत्र न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने 29 अप्रैल को मेवाणी को जमानत पर रिहा कर दिया था। यहां तक कि उन्होंने झूठी प्राथमिकी दर्ज करने और अदालत और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए राज्य पुलिस की खिंचाई की थी। अदालत ने कहा था, “यह (मामला) अदालत और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए आरोपी को अधिक समय तक हिरासत में रखने के उद्देश्य से गढ़ा गया था।”