सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को असम सरकार से कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसविदे में सुधार व इसे अंतिम रूप देने का काम अगले साल एक मार्च तक पूरा किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पेश करने की यही अंतिम तिथि है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार इस काम को कर रहे कार्मिकों को इसकी रिपोर्ट तैयार होने तक किसी भी अन्य काम की जिम्मेदारी नहीं सौंपेगी। अदालत ने कहा कि यह बहुत बड़ा काम है।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन के पीठ ने कहा – हमने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के राज्य संयोजक प्रतीक हजेला की रिपोर्ट पर विचार किया है। इसलिए हम निर्देश देते हैं कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार करने में आंशिक रूप से शामिल कार्मिकों को यह काम पूरा होने तक राज्य सरकार कोई अन्य जिम्मेदारी नहीं देगी। अदालत ने यह भी कहा कि इसकी तारीखों में कोई बदलाव नहीं होगा। राज्य संयोजक ने अन्य बातों के साथ ही मानवशक्ति और कोष से संबंधित दिक्कतों का जिक्र किया था।
इससे पहले अदालत ने इस रजिस्टर का मसौदा तैयार करने के लिए इस साल 31 अक्तूबर की तारीख निर्धारित करते हुए इस रजिस्टर के अंतिम प्रकाशन की तारीख एक जनवरी 2016 निर्धारित की थी। पीठ असम में गैरकानूनी तरीके से बांग्लादेशियों के प्रवेश को लेकर दायर जनहित याचिका पर अदालत के फैसले से उठे विभिन्न मुद्दों पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने अपने निर्देशों पर अमल की प्रक्रिया की निगरानी करने का निश्चय किया था।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार को भारत-बांग्लादेश सीमा पर तीन महीने के भीतर बाड़ लगाने का निर्देश दिया था ताकि गैरकानूनी तरीके से बांग्लादेशी नागरिकों को असम में घुसने से रोका जा सके।