असम में CAA को लेकर मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के काफिले का AJSU कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। दरअसल इन चुनावों में बीजेपी खुद CAA पर बात करने से कतरा रही है। मालूम हो कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को संसद से पारित करने के 24 घंटों के भीतर, गुवाहाटी में पुलिस की गोलियों से पांच लोगों की जान चली गई थी। असम में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था।

बता दें कि सीएए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से जुड़ा कानून है। विशेष रूप से जिन छह अल्पसंख्यक समूहों की पहचान की गई है, उनमें हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई और पारसी शामिल हैं। असम की बांग्लादेश के साथ एक लंबी सीमा लगती है। नाराज प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की थी कि नया कानून असमिया संस्कृति को नष्ट कर देगा और राज्य में असंतुलन लाएगा। राज्य भर में विरोध प्रदर्शनों ने 2019 में असम को हिला दिया था। कई लोगों ने इसे असम के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बताया है।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बंगाल और असम चुनाव में रैलियों के जरिए जमकर प्रचार कर रहे हैं। पीएम अपने भाषण में भाजपा के विकास के एजेंडे और योजनाओं के बारे में लोगों को बता रहे हैं।

उन्होंने राज्य में सीएम पर “अपराध, हिंसा और भ्रष्टाचार” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ने राज्य के लोगों को आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो राज्य में जल्द से जल्द कानून का शासन फिर से स्थापित किया जाएगा।

पीएम मोदी ने इससे पहले असम के करीमगंज में एक रैली को भी संबोधित किया, जहां उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने दशकों से उत्तर-पूर्व की उपेक्षा की है लेकिन एनडीए सरकार कनेक्टिविटी और सामाजिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

असम विधानसभा की 126 सीटों के चुनाव 27 मार्च से शुरू होने वाले तीन चरणों में आयोजित किए जाएंगे। जबकि 294 सीटों के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 27 मार्च से शुरू होकर 29 अप्रैल को समाप्त होने वाले आठ चरणों में होंगे। दोनों राज्यों के लिए मतों की गिनती 2 मई को होगी।