एशिया दो दशक के बाद फिर से गंभीर वित्तीय संकट की चपेट में घिर सकता है। यह आशंका जानी-मानी अमेरिकी ग्लोबल मैनेजमेंट कंसल्टिंग एजेंसी McKinsey & Company ने जताई है। फर्म को एशिया में वित्तीय व्यवस्था को लेकर लक्षण कुछ ठीक नहीं नजर आ रहे हैं। ‘ब्लूमबर्ग’ की खबर में बताया गया कि अगस्त में जारी की अपनी रिपोर्ट में McKinsey ने बढ़ते कर्ज, लोन चुकाने के दौरान आने वाले दबाव, कर्जदार संबंधी कमजोरियों और बैंकों की अव्यवस्थित प्रक्रिया को लेकर चिंता जताई है।

जयदीप सेनगुप्ता और अर्चना श्रेषद्रीनाथन द्वारा तैयार कंपनी की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि और तनाव बनने से नए संकट की आहट लग रही है, पर सरकार और कारोबारों को इससे निपटने के लिए संभावनाओं को तलाशना होगा। McKinsey की यह चेतावनी तब आई है, जब धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर एशियन कंपनियों में कमाई को लेकर दबाव बढ़ रहा है।

दरअसल, इस कंपनी ने 11 एशिया-पैसिफिक देशों में लगभग 23 हजार से अधिक कंपनियों की बैलेंस शीट का परीक्षण किया है और पाया कि ज्यादातर फर्म्स ऋण दायित्व के मामले में ‘संकट’ का सामना कर रही हैं। चीन और भारत सरीखे देशों में इस तरह का दबाव साल 2007 से है, जबकि अमेरिका और ब्रिटेन में भी यह उसी वक्त से है।

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भारत में ‘गंभीर मंदी’, पर कुंभकरण की नींद में सोई सरकार’: अर्थव्यवस्था में सुस्ती और कपड़ा उद्योग क्षेत्र में मंदी से जुड़े एक विज्ञापन पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 21 अगस्त, 2019 को मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। दावा किया कि देश ”गंभीर मंदी” का सामना कर रहा है, पर सरकार कुंभकरण की नींद में सोई हुई है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “खेती के बाद सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाला ‘कपड़ा उद्योग’ अब गंभीर मंदी की मार में। अखबार में इश्तेहार तक दिया पर कुंभकरणी नींद सो रही भाजपा सरकार।”

बता दें कि कुछ अखबारों में ‘नॉर्दन इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन’ नाम के संगठन ने एक विज्ञापन छपवाया है, जिसमें कहा गया है कि कपड़ा उद्योग क्षेत्र में नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है। संगठन ने इस विज्ञापन में साल 2018 और 2019 की तुलना करके बताया है कि अप्रैल से जून तक के महीने में सूती धागे के निर्यात में बहुत कमी आई है।