भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपने नए आदेश में केन्द्रीय संरक्षित स्मारकों के परिसर में अब फोटोग्राफी करने की अनुमति दे दी है। ये कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा एक कार्यक्रम में मौजूदा प्रतिबंधों के औचित्य पर उठाए गए सवालों के कुछ घंटों बाद हुई है। आदेश में कहा गया है कि एएसआई के द्वारा संरक्षित सभी ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों पर फोटोग्राफी की अनुमति दी जाएगी। लेकिन ये अनुमति ताजमहल में मौजूद मकबरे, अजंता की गुफाओं और लेह के महल की फोटो लेने की इजाजत नहीं देती है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकार और प्रबंध में 3,686 प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल आते हैं। इसमें राष्ट्रीय महत्व के भग्नावशेष भी शामिल हैं। केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा ने ट्वीट करके बताया,”माननीय प्रधानमंत्री के नजरिए और उनके मार्गदर्शन में सुबह ये तय किया गया है कि सभी केन्द्रीय संरक्षित स्मारकों में फोटोग्राफी की अनुमति दी जाएगी। इसमें अजंता की गुफाएं, लेह का महल और ताजमहल के भीतर बनी कब्र शामिल नहीं है।”
गुरुवार (12 जुलाई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में एएसआई के नए मुख्यालय की इमारत ‘धरोहर भवन’ का उद्घाटन किया था। इसी दौरान उन्होंने ये सवाल उठाया था कि आखिर क्यों लोगों को इन इमारतों की फोटो लेने से रोका जा रहा है? जबकि नई टेक्नोलॉजी के सेटेलाइट से लोग दूर बैठकर भी तस्वीरें खींच रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि लोगों को तस्वीरें खींचने से रोकना ठीक नहीं है।

बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने साल 2016 में इस संबंध में आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि पेशेवर फोटोग्राफर, इतिहासकार और शोधकर्ताओं को फोटो खींचने के लिए एएसआई से अनुमति लेनी पड़ेगी। नए बदलाव से सबसे ज्यादा लाभ इन्हीं को होने की उम्मीद है।