महाराष्ट्र की सियासत में आज एक नया भूचाल आया है। अभी तक एकजुट दिख रही कांग्रेस पार्टी को पिछले एक महीने में राज्य में झटके-पर-झटके लग रहे हैं। पहले मिलिंद देवड़ा फिर बाबा सिद्दकी और अब पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने कांग्रेस छोड़ दी है। अशोक को राज्य की राजनीति में कांग्रेस के एक बड़े स्तंभ के तौर पर देखा जाता है। संभावनाएं ये हैं कि अशोक चव्हाण बीजेपी में जा सकते हैं लेकिन आखिर बीजेपी को चव्हाण में इतनी ज्यादा दिलचस्पी क्यों है, चलिए इसे समझते हैं।
अशोक चव्हाण 2008 में मुंबई में आतंकी हमले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनाए गए थे। कई कांग्रेसी यह दावा कर रहे थे कि वे एनसीपी प्रमुख शरद पवार के रहते हुए अपनी पकड़ नहीं बना पाएंगे। उस वक्त अशोक चव्हाण को बनाने का फैसला सोनिया गांधी का था और वो अपने फैसले पर अडिग थीं। हालांकि उनके कार्यकाल में हुए आदर्श हाउसिंग सोसायटी का घोटाला कांग्रेस पार्टी के लिए मुसीबत बना था।
अशोक चव्हाण एक गैर विवादित मराठा नेता के तौर पर देखे गए, जो कि विलासराव देशमुख के साथ मराठवाढ़ा में काफी पॉपुलर रहे हैं। चव्हाण चर्चा में तब आए, जब मोदी लहर के बावजूद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में वे नांदेड़ लोकसभा सीट से जीतकर आए। खास बात यह है कि इस सीट के लिए तब के पीएम उम्मीद नरेंद्र मोदी ने भी खूब प्रचार किया था। इसके बावजूद वहां नांदेड़ सीट अशोक चव्हाण के रसूख के चलते कांग्रेस ने अपना गढ़ बचा लिया।
2019 में बीजेपी ने बना ली थी रणनीति
हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में नांदेड़ से अशोक चव्हाण हार गए थे, सीट बीजेपी के प्रताप पाटिल चिखलिकर के हाथ में चली गई थी। इसके बाद साल 2019 के विधानसभा चुनाव में वे भोकर सीट से जीतकर आए। ये वही सीट है, जहां से जीतने के बाद वे पहले सीएम बने थे। अशोक चव्हाण कांग्रेस की लाइमलाइट में एक बार फिर आ गए, उनके साथ विधायकों का काफी समर्थन भी रहा।
क्यों है बीजेपी की दिलचस्पी?
बीजेपी की दिलचस्पी की बात करें तो भले ही नांदेड़ लोकसभा सीट से पार्टी जीत गई है लेकिन 2024 के लिहाज से बीजेपी को पता था कि यह एक चुनौतीपूर्ण सीट है। इसीलिए अशोक चव्हाण के बीजेपी से संपर्क की शुरुआत 2019 में ही शुरू हो गई थी। पिछले साल गणेश चतुर्थी के दौरान हुई डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अशोक चव्हाण की मुलाकात काफी अहम थी। सूत्रों का कहना था कि उसी दौरान दोनों के बीच टकराव खत्म करने की शुरुआत हो गई थी।
इसके पहले जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में एनडीए की सरकार का बहुमत परीक्षण होने वाला था, तो उस दौरान भी चव्हाण अपने कई समर्थक विधायकों के साथ नहीं पहुंचे थे। हालांकि बाद में चव्हाण ने कहा था वे ट्रैफिक की वजह से नहीं पहुंच सके थे। इसे उनके बीजेपी की तरफ सकारात्मक रुख के तौर पर देखा जा रहा है। भले ही अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि चव्हाण कहां जाएंगे लेकिन यह सच है कि उनके कद को देखते हुए बीजेपी उनको अपने पाले में लाने की ज्यादा कोशिश कर रही है।