कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पोल मैनेजर, खासमखास और कांग्रेस वार रूम के अहम सदस्य आशीष कुलकर्णी के इस्तीफे से ना केवल कांग्रेस को झटका लगा है बल्कि यह खतरा भी बढ़ गया है कि अगर आशीष कुलकर्णी ने राहुल गांधी और कांग्रेस की रणनीति का खुलासा विरोधियों के सामने कर दिया तो उनका किला भाजपा के सामने बहुत जल्दी ध्वस्त हो सकता है। कुलकर्णी 2009 से कांग्रेस के वार रूम 15 जीआरजी से जुड़े रहे हैं। लिहाजा, उनके सामने कांग्रेस ने कई विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़े हैं। यानी साफ है कि कुलकर्णी के पास कांग्रेस के सभी ब्रह्मास्त्रों की जानकारी है।

अपने तीन पन्ने के इस्तीफे में कुलकर्णी ने अपनी मंशा और पसंद भी जाहिर कर दी है। कुलकर्णी ने कांग्रेस को हिन्दू विरोधी पार्टी बताया है। यानी उनका झुकाव हिन्दूवादी एजेंडे की तरफ है। हालांकि, यह कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी कि आशीष कुलकर्णी भाजपा के वार रूम में शामिल होने जा रहे हैं लेकिन भाजपा की परिस्थितियां और रणनीति ऐसी रही हैं कि इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है। 2014 के लोकसभा से लेकर हालिया विधानसभा चुनावों तक जिन-जिन लोगों ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा भाजपा ने उन सभी को गले लगा लिया।

फिलहाल भाजपा के वार रूम में प्रशांत किशोर जैसे रणनीतिकार की जगह खाली है। अगर आगे के दिनों में कुलकर्णी वहां पहुंच जाएं, इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है। कुलकर्णी ने इस्तीफे में राहुल गांधी को भी निशाने पर लिया है। राहुल गांधी को भेजे गये अपने इस्तीफा पत्र में आशीष कुलकर्णी ने कांग्रेस नेतृत्व पर अपनी भड़ास निकाली है। आशीष कुलकर्णी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस अब विचारधारा के तौर पर खुद को वामपंथ के नजदीक ले जाने लगी है और पार्टी कश्मीरी अलगाववादियों का समर्थन करने लगी है।

यही नहीं आशीष कुलकर्णी ने कांग्रेस पर जेएनयू में चल रहे कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों का समर्थन करने और तुष्टीकरण की राजनीति करने का भी आरोप लगाया है। आशीष कुलकर्णी ने कहा कि कांग्रेस कभी वामपंथ और दक्षिणपंथ के बीच की विचारधारा पर चलने वाली पार्टी हुआ करती थी लेकिन वही पार्टी अब कम्युनिस्टों, तृणमूल कांग्रेस जैसी हिन्दू विरोधी पार्टी बनती जा रही है। अपने इस्तीफे में कुलकर्णी ने उन बातों का भी जिक्र किया है कि कैसे उनकी ही पार्टी के लोग उनके खिलाफ प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की राह में रोड़ा लगा रहे हैं।