विवादास्पद कथावाचक आसाराम को उत्तर प्रदेश की एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में जोधपुर की एक अदालत ने दोषी करार दिया है। किशोरावस्था में ही पिता के कोयले और लकड़ी का व्यवसाय संभालने वाले आसाराम का अब तक के जीवन का सफर बेहद दिलचस्प रहा है। अविभाजित भारत के पाकिस्तान में पैदा हुए आसाराम को छह वर्ष की उम्र में ही विस्थापन का दंश भी झेलना पड़ा था। बाद में वह अध्यात्म की ओर आकर्षित हुआ और कथावाचक बन गया। आसाराम को इसमें काफी सफलता मिली और वह देशभर में पहचाना जाने लगा। उसके अनुयायियों की संख्या तकरीबन दो करोड़ है। अध्यात्म से आसाराम ने हजारों करोड़ की संपत्ति भी बनाई और अब दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराया गया है।

शादी से पहले भाग गया था आश्रम: आशुमल शिरुमलानी उर्फ आसाराम का जन्म अप्रैल 1941 में बेरानी (अब पाकिस्तान के सिंध प्रांत में) में हुआ था। देश का विभाजन होने के बाद वह अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में आकर बस गया था। आसाराम के पिता का कोयले और लकड़ी का व्यवसाय था। उनके निधन के बाद आसाराम ने इसकी जिम्मेदारी संभाल ली थी। हालांकि, बाद में उसका परिवार मेहसाणा जिले (गुजरात) के वीजापुर में आकर रहने लगा था। बताया जाता है कि आसाराम किशोरावस्था से ही अध्यात्म की ओर आकर्षित होने लगा था। वह 15 वर्ष की उम्र में शादी से पहले आश्रम भाग गया था। उसके परिवार ने उसे वापस लौटने के लिए मना लिया था। बाद में आसाराम की शादी भी कर दी गई थी। आसाराम 23 वर्ष की उम्र में अपने अध्यात्मिक गुरु लीलाशाहजी महाराज के संपर्क में आकर घर छोड़ दिया था।

अध्यात्मिक गुरु ने बदला था नाम: लीलाशाहजी महाराज ने आशुमल को अपने शिष्य के तौर पर स्वीकार किया था और 7 अक्टूबर, 1964 को उसका नाम संत श्री आसारामजी महाराज रख दिया गया था। बाद में लीलाशाहजी महाराज ने आसाराम को अपने आश्रम से बाहर कर दिया था। इसके बाद आसाराम ने खुद अपना प्रचार-प्रसार करना शुरू कर दिया था। उसने अपना पहला आश्रम वर्ष 1972 में 5 से 10 अनुयायियों के साथ मोटेरा (गुजरात) में स्थापित किया था। आसाराम सूरत गया जहां वह आदिवासियों के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ था। यहां से उसके अनुयायियों की तादाद बढ़नी शुरू हो गई थी। इसके बाद उसने धीरे-धीरे गुजरात के साथ ही पूरे देश में अपने आश्रम खोल लिए। आसाराम की संस्था 50 से ज्यादा गुरुकुल (स्कूल) और प्रिंटिंग प्रेस भी चलाती है। इसके अलावा साबुन, शैंपू, दवा आदि का भी उत्पादन करती है। वर्ष 2008 तक आसाराम का व्यावसायिक साम्राज्य 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। आसाराम ने 12 देशों में तकरीबन 400 आश्रम स्थापित किए हैं।

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कांग्रेस और भाजपा सरकारों ने मुहैया कराई थी जमीन: आदिवासी समुदाय के साथ ही आसाराम ने भारतीय राजनीति में भी अपनी गहरी पैठ बना ली थी। यही वजह है कि विवादास्पद कथावाचक के बड़ी संख्या में राजनीतिज्ञ भी शामिल थे। आसाराम के प्रभाव को इसी से आंका जा सकता है कि कांग्रेस के साथ भाजपा की सरकारों ने भी विभिन्न परियोजनाओं के लिए आसाराम को जमीन आवंटित की।

लगे गंभीर आरोप: आसाराम ने अपनी लोकप्रियता से सफलता की बुलंदियों को छुआ, लेकिन अब उसे बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में कोर्ट ने दोषी करार दिया है। आसाराम की समस्या वर्ष 2008 से बढ़नी शुरू हुई थी, जब मोटेरा में उसके आश्रम के समीप दो बच्चों की सिर कटी लाश मिली थी। जांच में शव से कुछ महत्वपूर्ण अंग गायब मिले थे। गुजरात पुलिस ने वर्ष 2009 में दो बच्चों की हत्या के आरोप में आसाराम के सात अनुयायियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। वर्ष 2013 में दिल्ली पुलिस ने आसाराम के खिलाफ जोधपुर आश्रम में एक 16 वर्षीय नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में केस दर्ज किया था। इसके बाद सूरत की दो बहनों ने भी आसाराम और उसके बेटे नारायण साई पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था।