एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार (18 मार्च) को आरोप लगाया कि आरएसएस ने ‘घर वापसी’ को बढ़ाने के प्रयास के तहत ‘भारत माता की जय’ के नारे का मुद्दा उठाया है। ओवैसी ने यह भी कहा कि वह हिंदू धर्म के नहीं, बल्कि हिंदुत्व के खिलाफ हैं। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा में अपने एक विधायक के निलंबन का समर्थन करने के लिए कांग्रेस पर भी निशाना साधा। हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, ‘‘आरएसएस की पूरी योजना यही है कि जो सावरकर ने अपनी पुस्तक में कहा था उसे लागू किया जाए। जब मैंने इससे (नारा लगाने) मना किया तो मैं जानता था कि आरएसएस क्या चाहता है।’’
ओवैसी ने कहा कि वह हमेशा से हिंदुत्व के खिलाफ रहे हैं, लेकिन हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि सावरकर ने भी अपनी पुस्तक में कहा था कि हिंदुत्व अलग है और हिंदू धर्म अलग है। नारा लगाने के लिए जोर देने का इस्तेमाल घर वापसी के लिए किया जा रहा है।’’
ओवैसी ने कहा, ‘‘मैं भारत का वफादार नागरिक हूं। मैं सऊदी अरब की भी इबादत नहीं करता जहां किसी भी मुसलमान के लिए दो सबसे पाक स्थान हैं। मैं अल्ला की इबादत करता हूं और इस देश का एक वफादार नागरिक हूं।’’
ओवैसी की जीभ काटने के लिए इनाम घोषित करने वाले युवा नेता को भाजपा ने निलंबित किया
वाराणसी। एआईएमआईएम प्रमुख असादुदीन ओवैसी की जीभ काटने पर कथित तौर पर एक करोड़ रुपए देने की घोषणा करने वाले काशी इकाई के युवा विंग के उपाध्यक्ष श्याम प्रकाश द्विवेदी को भाजपा ने प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। द्विवेदी को काशी इकाई के भारतीय युवा मोर्चा में उसके पद से भी हटा दिया गया है।
ओवैसी के खिलाफ मामला दर्ज
करीमनगर। ‘भारत की माता की जय’ का नारा लगाने से इंकार संबंधी बयान को लेकर एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ शुक्रवार (18 मार्च) को मामला दर्ज किया गया। करीमनगर थ्री टाउन पुलिस ने बेथी महेंद्र रेड्डी की शिकायत पर ओवैसी के खिलाफ शिकायत दर्ज की। अपनी शिकायत में रेड्डी ने आरोप लगाया कि ओवैसी के ‘अपमानजनक’ भाषण से ‘विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता’ बढ़ेगी।
उधर, अहमदाबाद में महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी ने कहा कि राष्ट्रपिता लोगों को देशभक्ति के नारे लगाने के लिए विवश करने के खिलाफ थे। गुजरात विद्यापीठ में एक व्याख्यान देते हुए राजमोहन गांधी ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता संग्राम के दैरान जो लोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ रहे थे वो सड़कों पर आकर दूसरे से जयहिंद का नारा लगाने के लिए कहते थे। वे कई बार लोगों को यह नारे लगाने के लिए धमकाते थे। उस समय बापू की राय थी कि किसी को जयहिंद का नारा लगाने के लिए मजबूर करना स्वराज के ताबूत में आखिरी कील होगी।’’