कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच विवाद जारी है। पंजाब और हरियाणा के ज्यादातर किसान संगठन पिछले एक महीने से दिल्ली के सिंघु-टिकरी बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन में शामिल हैं। इस बीच शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने किसान सम्मान निधि के 18 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर करने के साथ ही किसानों से बातचीत के भी प्रयास किए। उन्होंने कहा कि किसान सम्मान योजना उन्होंने कृषि से जुड़े लोगों के फायदे के लिए ही शुरू की है। हालांकि, किसानों को सरकार का इस तरह से योजना के बारे में गाना पसंद नहीं आया है। किसान संगठनों का कहना है कि वे सरकार के लिए बिकाऊ नहीं हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि पीएम की इस तरह से किसानों से बात करने की कोशिश ने कई संगठनों के प्रदर्शन के इरादों को और मजबूत कर दिया है। भारी सर्दी और सुविधाओं की कमी के बावजूद शुक्रवार को ही किसानों ने बड़ी संख्या में दिल्ली के गाजियाबाद से लगते बॉर्डर पर भीड़ इकट्ठा कर दी। यहां तक कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों ने भी बॉर्डर पर लगे बैरिकेडों को तोड़ डाला। इस दौरान सोशल मीडिया पर पीएम की किसान सम्मान निधि के खिलाफ Farmers Not on Sale यानी किसान बिकाऊ नहीं हैं हैशटैग काफी ट्रेंड किया।

सरकार के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के निशाने पर अब टेलिकॉम कंपनी जियो भी आ गई है। दिल्ली सीमा पर डटे किसानों ने बीते दिनों रिलायंस जियो की सिम कार्ड को जलाकर विरोध प्रदर्शन किया था। अब खबरें हैं कि जियो के टावर की बिजली भी काटी जा रही है। पंजाब और हरियाणा के ​अलग-अलग जिलों से रिलायंस जियो टावर के बिजली कनेक्शन काटे जाने की खबरें आ रही हैं। हरियाणा के सिरसा समेत अन्य कई जिलों में ग्रामीण जियो टावर के बिजली कनेक्शन काटकर विरोध जता रहे हैं।

पीएम मोदी की किसानों तक पहुंच बनाने की कोशिशों के बीच ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) ने बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि सरकार जानबूझकर उनकी तीनों कानूनों को रद्द करने और किसानों की सब्सिडी कम करने वाले इलेक्ट्रिसिटी बिल, 2020 को वापस लेने की मांगों को नहीं मान रही है।

AIKSCC ने साफ कर दिया कि किसान सरकार की तकनीक से अच्छी तरह परिचित हैं और उन्हें प्रदर्शन से थकाने की कोशिश असफल होगी, क्योंकि किसानी ने उन्हें धैर्य रखना सिखा दिया है। संगठन के अविक साहा ने कहा कि पीएम मोदी हर राज्य के किसानों से बात कर रहे हैं, लेकिन वे दिल्ली के दरवाजे पर बैठे किसानों और उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने अपनी मर्जी से गिने-चुने लोगों का प्रधानमंत्री बनने का फैसला कर लिया है।