भारत ने घरेलू उद्योगों के हित में एक बड़ा फैसला लेते हुए क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) में शामिल नहीं होने का फैसला किया था। पिछले हफ्ते भारत ने दक्षिण-पूर्वी और पूर्व एशिया के 16 देशों के बीच मुक्त व्यापार व्यवस्था के लिए प्रस्तावित RCEP समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। मोदी सरकार के इस फैसले को नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनागरिया ने गलत बताया है। पनागरिया ने कहा कि ऐसा करने से कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी भारत में निवेश नहीं करना चाहेगी।

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि यदि RCEP पर अन्य 15 देशों ने RCEP समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और भारत इस से बाहर रहना चाहता है तो कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी भारत नहीं आना चाहेगी। पनागरिया ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा “यह भारत के लिए एक अच्छा समय है कि वह देश में निवेशकों के रूप में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को ला सकता है और अगर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को एशियाई बाजारों में शुल्क मुक्त एक्सेस मिलेगा तो उन्हें भारत में अपने आप को जमाने का मौका मिलेगा।

उन्होंने कहा, “RCEP एक बहुत बड़ा ग्रुप है और हम इससे बाहर रहना अफोर्ड नहीं कर सकते हैं। इन 15 देशों को एक्सपोर्ट करने पर हमें ज्यादा शुल्क चुकाना होगा जबकि ग्रुप में शामिल होने पर एक्सपोर्ट शुल्क इतना ज्यादा नहीं होगा। लिबरल ट्रेड पॉलिसी का दौर शुरू करने के लिए यह अच्छा तरीका है। अगर कोई देश इन 15 देशों को निर्यात करता है तो उसे बहुत ज्यादा शुल्क देना होगा।”

अगस्त 2017 में नीति आयोग छोड़ने वाले पनागरिया ने कहा “प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने इनमें से कई कारणों को रेखांकित किया, क्योंकि वे एक बेहतर सौदे की तलाश में थे … कुछ रियायतें जो वे चाह रहे थे, उन्हें पेश नहीं की गईं, इसलिए उन्होंने बाहर रहने का विकल्प चुना। मेरा खुद का वाचन है कि यह अंतिम शब्द नहीं है, अभी इस मुद्दे पर और बातचीत होगी।”