दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत को खारिज कर दिया है। असल में कथित शराब घोटाले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत चाहते थे, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इसी वजह से एक याचिका दायर की थी। लेकिन सर्वोच्च अदालत का दो टूक कहना है कि जब तक दोनों ही पक्षों का ना सुन लिया जाए, किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती है।

Excise Scam: सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 अगस्त होने जा रही है, तब सबसे पहले सीबीआई को ही अपना जवाब देने का मौका मिलेगा। समझने का प्रयास रहेगा कि केजरीवाल क्या सही में इस मामले में दोषी हैं या फिर उन्हें जमानत का अधिकार दे देना चाहिए। वैसे कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही मनीष सिसोदिया को जरूर बड़ी राहत देने का काम किया था। उन्हें उसी शराब घोटाले में बेल दी गई थी, यहां तक कहा गया था कि निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिकाओं पर ठीक तरह से गौर नहीं किया।

आखिर ये शराब घोटाला है क्या

शराब घोटाला: सिसोदिया को कैसे मिली जमानत?

सुप्रीम कोर्ट का तब तर्क रहा था कि सिसोदिया तो सिर्फ अपनी बीमार पत्नी से मिलने के लिए जमानत चाहते थे, उनकी तरफ से केस में देरी नहीं की गई, यह कह देना कि उन्हीं के कारण ट्रायल नहीं हो पा रहा, यह गलत है। उस सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने ईडी से भी पूछा था कि आठ आरोप पत्र दाखिल करने के बाद भी ट्रायल शुरू क्यों नहीं किया गया। अब उस बहस के बाद ही केजरीवाल को लगा कि उन्हें भी ऐसे ही जमानत दे दी जाएगी। लेकिन अभी उन्हें और कुछ दिन जेल में ही बिताने होंगे। अगली सुनवाई 23 अगस्त को होने वाली है।

शराब घोटाले की पूरी ABCD

वैसे जिस शराब घोटाले को लेकर सारा विवाद है, उसे समझना भी जरूरी है। असल में तीन साल पहले 17 नवंबर 2021 को राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने नई शराब नीति को लागू करने का काम किया था। इस नई नीति के मुताबिक दिल्ली को कुल 32 जोन में बांटा गया और कहा गया कि हर जोन में 27 शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं। अगर इसी आंकड़े के हिसाब से टोटल किया जाए तो पूरी दिल्ली में 849 शराब की दुकानें खुलनी थीं। एक बड़ा बदलाव ये होने वाला था कि जो भी शराब की दुकाने खुलनी थीं, वो सारी प्राइवेट सेक्टर की थीं, सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं था। दूसरे शब्दों में जिस शराब करोबार में पहले सरकारी की हिस्सेदारी रहती थी, नई नीति के तहत उसे ही खत्म कर दिया गया।