दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 6 महीने बाद सीएम अब जेल से बाहर आने वाले हैं, कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। इस एक फैसले की वजह से आम आदमी पार्टी में खुशी की लहर है, पार्टी खासा उत्साहित है। उसे पूरा विश्वास है कि अब चुनावी मौसम में पार्टी को इसका सीधा फायदा मिलने वाला है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक सकेंत जरूर मिलता है- आम आदमी पार्टी को अपना नेता मिल गया है, लेकिन दिल्ली को अपने मुख्यमंत्री नहीं मिले हैं।
सीएम वाली जरूरी जिम्मेदारियां कैसे निभाएंगे केजरीवाल?
असल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समझना जरूरी हो जाता है। यह सही बात है कि सर्वोच्च अदालत ने कथित शराब घोटाले में केजरीवाल को जमानत देने का फैसला किया है, लेकिन उन पर कुछ ऐसी पाबंदियां लगा दी गई हैं जिससे उनकी सीएम वाली तमाम जिम्मेदारियां बाधित हो सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा है कि अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर रहते वक्त किसी भी सरकारी दस्तावेज पर साइन नहीं कर पाएंगे। इसके ऊपर कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सीएम अपने दफ्तर भी नहीं जा पाएंगे। वे किसी भी सरकारी फाइल को देखने का काम तक नहीं करेंगे।
अरविंद केजरीवाल को SC से इन शर्तों पर मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मायने क्या?
अब यह सख्त टिप्पणियां मायने रखती हैं क्योंकि इनकी वजह से जमानत मिलने के बाद भी सीएम केजरीवाल पूरी तरह आजाद नहीं होने वाले हैं। अगर उन्हें कोई बड़ा फैसला लेना है, अगर उन्हें किसी नई योजना पर काम करना है, उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ेगा। सीएम केजरीवाल की लीगल टीम कह जरूर रही है कि कोई रास्ता निकाला जाएगा, लेकिन आगे रास्ता इतना आसान नहीं।
हरियाणा चुनाव में केजरीवाल को प्रचार की अनुमति?
अभी के लिए आम आदमी पार्टी के लिए राहत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी निजी भूमिका को लेकर कोई बात नहीं बोली है। आम आदमी पार्टी में उनकी जो भी संयोजक वाली जिम्मेदारियां हैं, उन्हें वे निभा सकते हैं। इससे साफ हो जाता है कि चुनावी मौसम में अरविंद केजरीवाल प्रचार जरूर कर पाएंगे। आम आदमी पार्टी की प्राथमिकता भी अभी यही है कि हरियाणा चुनाव को लेकर उन्हें केजरीवाल का साथ मिल सके, उनकी लोकप्रियता को किसी तरह से भुनाया जा सके।
पार्टी का नेता बाहर, ‘सीएम’ कब?
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले यह रास्ता उनके लिए खोल दिया है। जिस तरह से लोकसभा चुनाव के दौरान सीएम केजरीवाल को प्रचार करने की अनुमति थी, फिर उसी भूमिका में वे दिख सकते हैं। पार्टी के लिए हर जरूरी फैसला उनकी तरफ से लिया जा सकता है। लेकिन सवाल वही है- इसे आम आदमी पार्टी की जीत कहा जा सकता है, लेकिन क्या दिल्ली की जनता को भी उनका मुख्यमंत्री वापस मिला है?
