अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन शुक्रवार को हट गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसकी सिफारिश बुधवार को ही कर दी थी पर सुप्रीम कोर्ट से इस बीच यथास्थिति का अंतरिम आदेश आने के बाद राष्ट्रपति शासन हटने की प्रक्रिया रुक गई थी। अब सूबे में जल्द वैकल्पिक सरकार की संभावना बन गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को शुक्रवार कोई राहत न देकर इस संभावना को और प्रबल बना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं की विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए शक्तिपरीक्षण की अनुमति देने वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाले पांच जजों के संविधान पीठ ने कहा कि इस मुद्दे से निपटने का यह संभावित तरीका हो सकता है लेकिन मामला अब भी हमारे पास लंबित है जिस पर अभी तक फैसला नहीं सुनाया है।

पीठ में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति एनवी रमण भी शामिल हैं। पीठ की टिप्पणी वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की मौखिक दलीलों पर आई। राज्य में कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधित्व करनेवाले सिब्बल ने कहा कि पार्टी को बहुमत हासिल है और विधानसभा में शक्ति परीक्षण का निर्देश जारी किया जाए।

सिब्बल ने कहा- हमें इन सबका संदेह था (राष्ट्रपति शासन वापस लेने और नई सरकार के गठन का)। हमने अपनी आशंकाएं अदालत को बताई थीं, जो सही हो रही हैं। पीठ ने संकट ग्रस्त राज्य में नई सरकार के गठन के संबंध में आशंकाओं का उल्लेख करते हुए कहा- हम इस मामले में आपसे सहमत हो सकते हैं और नहीं भी। लेकिन अगर हम आपसे सहमत होते हैं तो हर कोई जानता है कि क्या होगा। कोई भी वह जोखिम नहीं उठाएगा।

सिब्बल ने एक और आशंका जाहिर की। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यपाल पी राजखोवा नए मुख्यमंत्री को शपथ दिलाने का फैसला करते हैं और इस बात को सुनिश्चित करने के लिए सदन भंग कर देते हैं कि मध्यावधि चुनाव होने तक सत्ता उनके हाथ में रहे। सिब्बल ने कहा कि नई सरकार को शपथ दिलाने के तुरंत बाद वे विधानसभा को भंग कर देंगे और कार्यवाहक सरकार के जरिए नियंत्रण रखेंगे। उन्होंने कहा कि अब मामले में कोई आदेश दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने दलीलें पूरी कर ली हैं।

शीर्ष अदालत ने यह अनुरोध भी खारिज करते हुए कहा कि पीठ के सदस्यों की राय अलग हो सकती है और सभी दलीलें पूरी होने के बाद ही कोई आदेश दिया जाएगा। अदालत ने अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में यथास्थिति बरकरार रखने के अपने अंतरिम आदेश को गुरुवार वापस ले लिया था, जिससे भाजपा विधायकों के समर्थन से सरकार गठन का रास्ता साफ हो सकता है। गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले पर रोक लगा दी थी।