नार्थ-ईस्ट क्षेत्र के सबसे बड़े राज्य अरुणाचल प्रदेश में कहने को तो भारत के बाकी सूबों की तरह से महिलाओं को पुरुषों के बराबर हक हासिल हैं लेकिन हकीकत में स्थिति कुछ और ही है। अलबत्ता इसके बाद भी महिलाओं ने खुद को पुरुषों से आगे खुद को खड़ा कर लिया है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (2016) की रिपोर्ट कहती है कि राज्य की कुल वर्क फोर्स (काम करने वालों की तादाद) में 51.6% महिलाओं की हिस्सेदारी है।

वैसे महिलाओं की हालत पर गौर करें तो ये संतोषजनक भी नहीं मानी जा सकती। नौकरशाही में उनका दखल न के बराबर है। राजनीति की बात करें तो मौजूदा 60 सदस्यीय असेंबली में केवल चार महिलाएं हैं। सांसदों के मामले में तो महिलाओं की स्थिति और भी ज्यादा खराब है। 1987 में राज्य बनने के बाद से आज तक एक भी महिला सांसद के तौर पर निर्वाचित नहीं हुई।

सेवन-सिस्टर्स में सबसे बड़ा है अरुणाचल

भारत के उत्तर-पूर्व में सात राज्य हैं। इन्हें सात-बहनें या सेवन-सिस्टर्स के नाम से भी जाना जाता है। इन राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा शामिल हैं। अरुणाचल प्रदेश ने 1987 में राज्य का दर्जा हासिल किया। इसका क्षेत्रफल 83,743 किमी है।

चीन भी ठोकता है अपना दावा

हालांकि, अरुणाचल प्रदेश में भारत की संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है। अंतरराष्ट्रीय मानचित्रों में अरुणाचल को भारत का हिस्सा माना गया है। लेकिन चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है। वो इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है। इस राज्य में 26 प्रमुख जनजातियां और बहुत सी उप जनजातियाँ निवास करती हैं। इनमें से अधिकतर समुदाय जातीय रूप से समान हैं और एक मूल से निकले हैं पर एक-दूसरे से भौगोलिक रूप से अलग होने के कारण इनकी भाषा, पहनावे और रिवाजों में कुछ विशिष्ट विशेषताएं आ गई हैं।

35% जनसंख्या के लिए कृषि प्रमुख व्यवसाय

अरुणाचल प्रदेश की लगभग 35% जनसंख्या के लिए कृषि प्रमुख व्यवसाय है। यहां की प्रमुख फसल चावल है जिसे घाटी के निचले क्षेत्रों में और कुछ सीढ़ीदार ढलानों में उगाया जाता है। मक्का, बाजरा, दालें, आलू, गेहूं और सरसों अन्य महत्वपूर्ण फसलें हैं। राज्य के कुल क्षेत्र का लगभग 62% वन क्षेत्र है। यहां बड़े पैमाने पर कोई निर्माण उद्योग नहीं है पर कुछ कोयले तथा लिग्नाइट का खनन किया जाता है। प्रमुख उद्योग वन आधारित हैं। वन उत्पाद, विशेष रूप से बांस महत्वपूर्ण संसाधन है।