पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली नहीं रहे। लंबे इलाज के बाद शनिवार को दिल्ली स्थित एम्स में उनका निधन हो गया। नौ अगस्त, 2019 से नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती थे। उन्हें अस्पताल में जीवन रक्षक प्रणाली (लाइफ सपोर्ट सिस्टम) पर रखा गया था।
डॉक्टर्स के मुताबिक, उनकी हालत पहले नाजुक थी। नौ अगस्त से अब तक जेटली को देखने कई दिग्गज नेता एम्स पहुंच चुके थे। जिस दिन उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, उसी शाम पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह एम्स गए थे, जबकि प्रणब दा से पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी बेटी प्रतिभा संग एम्स गए थे।


पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद उनका शनिवार को निधन हो गया। उनका एम्स में इलाज चल रहा था। दोहपर 12 बजकर 07 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली।
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपना 2, कृष्णा मेनन मार्ग स्थित सरकारी बंगला खाली कर दिया है। बड़े सरकारी बंगलों में से एक होने के बावजूद मोदी सरकार के मंत्री इस बंगले में रहने से कतरा रहे हैं। इसके पीछे जो वजह दी...पढ़ें खबर।
गुरुवार (22 अगस्त, 2019) को उनकी तबीयत का हाल जानने पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ.प्रणब मुखर्जी अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने जेटली के परिजन और डॉक्टरों से उनके स्वास्थ्य के बारे में बातचीत की थी।
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री की हालत जस की तस बनी हुई है। 9 अगस्त, 2019 को सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी महसूस होने के बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था। हालांकि, तब से अस्पताल ने उनका कोई मेडिकल बुलेटिन नहीं जारी किया है। पर एम्स से जुड़े सूत्रों की मानें तो जेटली की हालत में खासा सुधार नहीं आया है
अरुण जेटली के शरीर में ऑक्सीजन की प्राकृतिक रुप नहीं पहुंच पा रही है, ऐसे में डॉक्टरों की टीम जीवन रक्षक प्रणाली के जरिए कृत्रिम रुप से उनके शरीर में ऑक्सीजन पहुंचा रही है।
मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और प्रकाश जावड़ेकर सहित कई नेताओं ने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था (एम्स) जाकर पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली की सेहत की जानकारी ली।
अपने विद्यार्थी जीवन में अरुण जेटली का जुड़ाव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से रहा और दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ के वह साल 1974 में अध्यक्ष भी चुने गए थे।
डॉक्टरों के मुताबिक जब मरीज की स्थिति लगातार बिगड़ने लगती है, या इन चार में से कोई भी स्थिति होने पर मरीज को तुरंत वेंटिलेटर पर डाल दिया जाता है-1. खुद से सांस लेने में दिक्कत2. किडनी से जुड़ी कोई दिक्कत हो जाना3. दिल की धड़कनों का अनियमित होना4. आंतों का सही से काम ना करनाजेटली को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उनके श्वसन तंत्र यानी फेफड़े सही तरीके से काम नहीं कर रहे थे।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान समेत आरएसएस के संयुक्त सचिव कृष्ण गोपाल, पूर्व समाजवादी नेता अमर सिंह भी एम्स पहुंच कर जेटली का हाल चाल जान चुके हैं। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी इस लिस्ट में शामिल हैं।
सोमवार को उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एम्स पहुंचकर जेटली का हाल जाना था। इन नेताओं के अलावा केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और भाजपा राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने भी अस्पताल पहुंच जेटली का हालचाल लिया था। इनसे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, जितेंद्र सिंह, संघ प्रमुख मोहन भागवत, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल समेत कई अन्य लोग एम्स पहुंचकर जेटली का हालचाल ले चुके हैं।
एम्स में सीनियर डॉक्टरों की टीम अरुण जेटली के स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए है। उनके फेफड़ों में पानी जमा हो रहा है, इस वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इसी वजह से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। उन्हें सॉफ्ट टिशू सरकोमा था, जो एक प्रकार का कैंसर होता है। जेटली डायबिटीज के भी मरीज हैं। एक साल पहले उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हो चुका है।
जेटली ने दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल से पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से 1973 में बी कॉम किया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने 1977 में लॉ किया। दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के वक्त वो एबीवीपी के सक्रिय कार्यकर्ता थे। 1974 में वो यूनिवर्सिटी स्टूडेन्ट्स यूनियन के अध्यक्ष भी चुने गए थे।
देश में आपातकाल के दौरान अरुण जेटली ने भी इसका पुरजोर विरोध किया था। जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। जेटली को इस दौरान अंबाला की जेल में रखा गया था और उसके बाद वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी रहे। आपातकाल के दौरान जेटली लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के संयोजक थे।
पूर्व वित्त मंत्री जेटली ने लंबे समय तक मधुमेह रहने से वजन बढ़ने के कारण सितंबर 2014 में उन्होंने बैरिएट्रिक सर्जरी करायी थी। इस साल मई में उपचार के लिए वह एम्स में भर्ती हुए थे। पेशे से वकील जेटली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में उनकी कैबिनेट का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उनके पास वित्त और रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी थी।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने के लिए एम्स का दौरा किया। बंगाल के राज्यपाल के साथ पत्नी सुदेश धनखड़ और दो बच्चे भी थे।
अरुण जेटली साल 1980 में भाजपा में शामिल हुए। इसके बाद उन्हें भाजपा युवा मोर्चा का अध्यक्ष और दिल्ली प्रदेश ईकाई का सचिव बनाया गया। अरुण जेटली साल 1991 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने।