अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बनाने के फैसले के खिलाफ ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म) ने एक जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि उनको तत्काल इस पद से हटाया जाए। दिग्गज एडवोकेट प्रशांत भूषण ने रिट में कहा है कि सरकार ने केवल इस वजह से गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है क्योंकि वो ‘यस मैन’ हैं। इसके अलावा उनके पास ऐसी कोई योग्यता नहीं है दूसरे अफसरों के पास नहीं हो।
भूषण ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार ने गोयल की नियुक्ति पर दलील दी है कि चार अफसरों के पैनल में वो सबसे युवा हैं। लंबे समय तक अपनी जिम्मेदारी को निभा सकते हैं। लेकिन भूषण का कहना है कि 1985 के बैच में 160 अफसर हैं। इनमें से कई गोयल से कम उम्र के हैं। फिर उन अफसरों के नाम पर विचार क्यों नहीं किया गया। भूषण का कहना है कि सरकार को नहीं लगता कि दूसरा कोई अफसर उसकी हां में हां उस तरह से मिलाएगा जैसे अरुण गोयल कर सकते हैं। एडवोकेट की सुप्रीम कोर्ट से अपील है कि वो तत्काल इस नियुक्ति को रद कर सरकार को सबक सिखाए।
भूषण बोले- संविधान के आर्टिकल 14, 324 (2) का उल्लंघन
इससे पहले भूषण ने अपनी रिट में कहा था कि सरकार ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के नियम अपने हिसाब से तैयार किए हैं। इसका सीधा उद्देश्य अपने मनमाफिक अफसरों को नियुक्त करना है। लेकिन ये संविधान के आर्टिकल 14, 324 (2) का उल्लंघन है। प्रशांत भूषण ने इससे पहले भी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता को लेकर याचिका दायर की थी। लेकिन रिट पर सुनवाई से पहले ही अरुण गोयल चुनाव आयुक्त बन गए।
अरुण गोयल एक पूर्व IAS हैं। वो पंजाब कैडर से हैं। उन्होंने नवंबर 2022 में चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला था। पूर्व सीईसी सुशील चंद्रा के मई 2022 में सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली था। अरुण गोयल ने चुनाव आयुक्त बनने के लिए वीआरएस (स्वैक्छिक सेवानिवृत्ति) ली थी।बतौर IAS रिटायर होने से पहले वो भारी उद्योग सचिव के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में भी काम किया था।
चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) का पद छह साल के लिए होता है। लेकिन अफसर अगर छह साल से पहले ही 65 का हो जाए तो भी उसे रिटायर कर दिया जाता है। अरुण गोयल सीईसी भी बन सकते हैं। अभी राजीव कुमार सीईसी हैं। वो फरवरी 2025 में रिटायर होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बांधा, पैनल करेगा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति
मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक पैनल गठित किया था। इसमें प्रधानमंत्री, सीजेआई और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष शामिल हैं। बेंच ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति पर भी हैरत जाहिर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो इस बात से हैरान हैं कि गोयल ने 18 नवंबर को वीआरएस के लिए आवेदन किया था। हालांकि, कोर्ट ने गोयल को हटाने को लेकर कोई फैसला नहीं किया। लेकिन ये जरूर कहा कि लगता है कि अरुण गोयल पहले से जानते थे कि उन्हें चुनाव आयुक्त बनाया जाना है।