केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ‘आॅर्गेनाइजर’ में छपे एक लेख पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसने केरल के लोगों का ‘अपमान’ किया है और पत्रिका को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए। आॅर्गेनाइजर के संपादकीय मंडल को भेजे पत्र में चांडी ने पत्रिका के दीपावली विशेष अंक में आए ‘गॉड्स ओन कंट्री एंड गॉडलेस कंट्री’ लेख को ‘जहरीला’ बताते हुए पत्रिका से इसे वापस लेने की मांग की।

लेख की आलोचना करते हुए चांडी ने कहा कि आलेख में लिखी गई चीजों से केरल के लोगों और दूसरी जगहों पर रहने वाले मलयालियों का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि अपनी जन्मभूमि पर गर्व करने वाले एक मलयाली और केरल के मुख्यमंत्री के तौर पर मुझे निश्चित तौर पर अपने राज्य और दूसरे मलयालियों के सम्मान की रक्षा करनी चाहिए। मैं आपकी पत्रिका द्वारा केरल के लोगों व दूसरी जगहों पर रहने वाले मलयालियों का बेरुखी से अपमान करने की तरफ आपका ध्यान दिलाना चाहता हूंं।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आपके दीपावली विशेष अंक में यह जहरीला लेख आया। यह विडंबनापूर्ण है कि प्रकाशोत्सव विशेष अंक में इस तरह का निराशाजनक लेख आया जो केरल में और उसके बाहर रहने वाले मलयालियों को बदनाम करने के लिए खासतौर पर लिखा गया।’ चांडी ने कहा कि भारत के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिकता का जहर उगलने वाले अब केरल की दहलीज पर खड़े हैं। आपको शायद अच्छे से पता हो कि हाल में देश में नृशंस घटनाएं हुई हैं जिनकी वजह से राष्ट्रपति को स्पष्ट रूप से विभाजनकारी ताकतों को लेकर चार बार कड़ी चेतावनी जारी करनी पड़ी।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुझे आॅगेनाइजर के संपादकीय मंडल को बताने दें कि एक सदी से ज्यादा समय से केरल ने अपने महान पुत्र व महान समाज सुधारक श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं को दिल से लगाकर रखा है जिन्होंने लोगों से जाति व पंथ आधारित विभाजन के रास्ते से दूर रहने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि सहिष्णुता मलयाली जनमानस का एक अभिन्न हिस्सा है। इसी वजह से कोडुंगलूर के सातवीं सदी के हिंदू शासक चेरामन पेरूमल ने एक मस्जिद के निर्माण के लिए जमीन दी थी जो कि भारत में पहला ऐसा मामला था।

चांडी ने कहा, ‘सुरेंद्रनाथ (लेख लिखने वाले) ने कुछ सामाजिक मुद्दों के संबंध में बेबुनियाद आरोप लगाकर केरल द्वारा हासिल की गई प्रभावशाली प्रगति को बदनाम करने की कोशिश की है जबकि ये सामाजिक मुद्दे केरल में ही नहीं बल्कि देश के दूसरे हिस्सों और बाहर भी दिखते हैं’। उन्होंने केरल की उपलब्धियों को लेकर कहा कि इसकी उच्च जीवन प्रत्याशा, उच्च साक्षरता दर, महिलाओं के पक्ष में लिंग अनुपात (जो चयनात्मक गर्भपात से राज्य के परहेज का एक साफ संकेत है), सबसे कम मातृ व शिशु मृत्यु दर और बाकी चीजें बाकी देश के लिए एक मानदंड बन गए हैं।

चांडी ने कहा कि केरल घरेलू व अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक बेहद पसंदीदा गंतव्य है जिससे वह सच में ‘गॉड्स ओन कंट्री’ (ईश्वर की अपनी भूमि) बनता है। उन्होंने कहा कि इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद पत्रिका ने ‘केरल के सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक विविधता को दूषित करने’ की कोशिश की। मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल गोमांस खाने जैसे मुद्दों पर जब कोई फैसला लेता है तो लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ खड़ा होता है। भारत के संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के अनुरूप केरल के लोगों और साथ ही बाकी देश के लोगों को भी अपना भोजन चुनने की आजादी है। लेकिन आजकल हम देख रहे हैं कि कुछ ताकतें सदियों पुरानी खान पान की आदतों के नाम पर सांप्रदायिक व विभाजनकारी भावनाएं भड़का रही हैं। भाजपा ने हाल में हुए बिहार चुनाव के दौरान भी यह चाल चली लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।

बताते चलें कि लेख में कहा गया था कि ‘केरल के हिंदुओं में धार्मिकता की सामूहिक चेतना जैसी कोई चीज नहीं है’ और वहां 50 सालों से ज्यादा के कम्युनिस्ट सक्रियतावाद के दौरान हिंसा, नास्तिकता, कथित तर्कवाद आदि की विचारधाराएं राज्य के कोने कोने में पहुंच गईं। लेख में गोमांस विवाद के दौरान दिल्ली के केरल भवन में दिल्ली पुलिस की छापामारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करने के चांडी के रुख की आलोचना की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि बहुसंख्यक हिंदू समुदाय की भावनाओं को दरकिनार करते हुए राज्य में गोमांस बेचा जा रहा है। इससे पहले माकपा ने भी लेख की आलोचना की थी। उसके पोलित ब्यूरो के सदस्य पी विजयन ने कहा था कि यह केरल के लोगों के खिलाफ संघ परिवार के युद्ध की घोषणा है।