Modi Government: मोदी सरकार ने अब तक जितने बड़े फैसले लिए हैं। उन सभी की तारीख लगभग पांच अगस्त ही रही है। फिर चाहे वो जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करना होगा या फिर अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन। अब एक बार फिर से मोदी सरकार आज यानी पांच अगस्त को कुछ बड़ा फैसला ले सकती है। वो है वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उसके अधिकारों पर लगाम लगाना। कहा जा रहा है कि नए बदलावों में सरकार बिल के जरिए महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएगी। केन्द्र सरकार मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार देने की पक्षधर है। हर बोर्ड और काउन्सिल में दो महिलाओं की सदस्यता होगी।

केन्द्र सरकार जल्द ही मौजूदा वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधन करने की तैयारी में है। इसे लेकर सरकार इसी सत्र में एक नया बिल लेकर आ सकती है। बता दें, अभी वक्फ के पास किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति है। नए बिल में इस पर रोक लगाई जा सकती है। सूत्रों को मुताबिक शुक्रवार (2 अगस्त) को हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी भी मिल गई है। प्रस्तावित बिल में मौजूदा एक्ट की कुछ धाराओं को हटाया भी जा सकता है। संसद का मानसून सत्र अभी 12 अगस्त तक चलना है।

नए बिल से वक्फ बोर्ड पर क्या प्रभाव पड़ेगा

देश में रेलवे और सशस्त्र बल के बाद सबसे ज्यादा जमीन पर मालिकाना हक रखने वाली संस्था वक्फ बोर्ड है। संशोधनों के बाद किसी भी जमीन पर दावे से पहले उसका वेरिफिकेशन करना होगा। इससे बोर्ड की जवाबदेही बढ़ेगी और मनमानी पर रोक लगेगी। बोर्ड के पुनर्गठन से बोर्ड में सभी वर्गों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी। मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं और शिया और बोहरा जैसे समूह लंबे समय से मौजूदा कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं।

विवादों में रहे थे वक्फ बोर्ड के कुछ फैसले

वक्फ बोर्ड से जुड़े नए बिल के पीछे सितंबर 2022 के एक मामले का तर्क दिया जा रहा है। इसमें तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने थिरुचेंदुर गांव को अपनी संपत्ति बताया था, जबकि इस गांव की ज्यादातर आबादी हिंदू है।

वहीं पिछले साल मई में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में उन 123 संपत्तियों के निरीक्षण की अनुमति दी थी, जिन पर दिल्ली वक्फ बोर्ड अपने कब्जे का दावा कर रहा है। पिछले साल अगस्त में ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने इन संपत्तियों को नोटिस भी जारी किया था।

मोदी सरकार 2.0 के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने किसी विशेष संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए राज्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उनके मुतवल्लियों की नियुक्ति के प्रोसेस की समीक्षा की थी।

तेजी से बड़ी वक्फ बोर्ड की संपत्ति

सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से वक्फ बोर्ड पर कांग्रेस द्वारा वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों के बाद भू-माफिया की तरह काम करने, व्यक्तिगत भूमि, सरकारी भूमि, मंदिर की भूमि और गुरुद्वारों सहित विभिन्न प्रकार की संपत्तियों को जब्त करने का आरोप लगाया गया है। सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में वक्फ की पूरे भारत में करीब 52,000 संपत्तियां थीं। 2009 तक यह संख्या 4,00,000 एकड़ भूमि को कवर करते हुए 3,00,000 पंजीकृत संपत्तियों तक पहुंच गई थी।

सूत्रों ने कहा कि आज, पंजीकृत वक्फ संपत्तियों की संख्या 8,72,292 से अधिक हो गई है, जो 8,00,000 एकड़ से अधिक भूमि पर फैली हुई है। यह केवल 13 वर्षों के भीतर वक्फ भूमि के नाटकीय रूप से दोगुना होने को दर्शाता है। सूत्रों का कहना है कि वक्फ अधिनियम, 1923 अंग्रेजों द्वारा पेश किया गया था। अंग्रेजों ने सबसे पहले मद्रास धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1925 पेश किया। इसका मुसलमानों और ईसाइयों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया। इस प्रकार, उन्हें बाहर करने के लिए इसे फिर से तैयार किया गया, इसे केवल हिंदुओं पर लागू किया गया और इसका नाम बदलकर मद्रास हिंदू धार्मिक और बंदोबस्ती अधिनियम 1927 कर दिया गया।

1954 में संसद में पहली बार पारित हुआ वक्फ अधिनियम

वक्फ अधिनियम पहली बार 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसने वक्फ बोर्डों को असीमित शक्तियां प्रदान की। सूत्रों ने कहा कि 2013 में, इस अधिनियम में और संशोधन करके वक्फ बोर्ड को किसी की संपत्ति छीनने की असीमित शक्तियां दे दी गई, जिसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।

सीधे शब्दों में कहें तो वक्फ बोर्ड को मुस्लिम दान की आड़ में संपत्तियों पर दावा करने की व्यापक शक्तियां दी गई। जानकार सूत्रों ने आईएएनएस को बताया, इसका प्रभावी रूप से मतलब यह है कि एक धार्मिक निकाय को लगभग अनियंत्रित और असीमित अधिकार दिया गया है, जिससे वादी को न्यायिक सहारा लेने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक भारत में किसी अन्य धार्मिक निकाय के पास ऐसी शक्तियां नहीं है।

जानकारी के मुताबिक, वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 में कहा गया है कि यदि वक्फ सोचता है कि जमीन किसी मुस्लिम की है, तो यह वक्फ की संपत्ति है। वक्फ बोर्ड को इस बारे में कोई सबूत देने की ज़रूरत नहीं है कि उन्हें क्यों लगता है कि ज़मीन उनके स्वामित्व में आती है। सूत्रों ने बताया कि यहां तक ​​कि मुस्लिम कानूनों का पालन करने वाले देशों में भी वक्फ संस्था नहीं है और न ही किसी धार्मिक संस्था के पास इतनी असीमित शक्तियां हैं। यह भी बताया गया है कि वक्फ निकाय ने विभाजन के दौरान पाकिस्तान से पलायन करने वाले हिंदुओं को कोई जमीन वापस नहीं की।

ओवैसी बोले- भाजपा हमेशा से वक्फ बोर्ड के खिलाफ रही है

वक्फ एक्फ में संशोधन की अटकलों को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो जब संसद सत्र चल रहा है, तो केंद्र सरकार संसद की सर्वोच्चता और विशेषाधिकारों के खिलाफ काम कर रही है और इसकी जानकारी संसद को देने की बजाय मीडिया को दे रही है।

ओवैसी ने कहा कि वक्फ एक्ट में संशोधन को लेकर मीडिया में जो भी कहा जा रहा है, उससे यह पता चलता है कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की ऑटोनॉमी छीनना चाहती है और उसमें दखल देना चाहती है। यह धर्म की स्वतंत्रता के खिलाफ है।

आगे उन्होंने कहा कि दूसरी बात यह कि भाजपा हमेशा से इस बोर्ड और वक्फ की संपत्तियों के खिलाफ रही है। उनका हिंदुत्व का एजेंडा है। अब अगर आप वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में बदलाव करना चाहते हैं, तो इससे प्रशासनिक स्तर पर अव्यवस्था होगी, वक्फ बोर्ड की ऑटोनॉमी खत्म होगी और अगर सरकार वक्फ बोर्ड पर अपना कंट्रोल बढ़ाती है तो वक्फ की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अगर कोई विवादित संपत्ति है, तो ये लोग कहेंगे कि वह विवादित है और हम उसका सर्वे कराएंगे। यह सर्वे भाजपा के मुख्यमंत्री करेंगे और आप जानते ही हैं कि इसके नतीजे क्या होंगे। इस देश में ऐसी कई दरगाह हैं जिन्हें लेकर BJP-RSS दावा करते हैं कि यह दरगार और मजार नहीं हैं। इस फैसले से न्यायपालिका की शक्ति छीनने की कोशिश की जा रही है।